
लखनऊ (Uttar Pradesh). यूपी में योगी सरकार बनने के बाद पहली बार सोमवार को कैबिनेट बैठक हुई, जोकि आमतौर पर हर हफ्ते में मंगलवार होती थी। इस बैठक की खास वजह थी पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करना, जिसे योगी सरकार ने मंजूरी दे दी है। प्रदेश सरकार ने हरियाणा के गुरुग्राम और मुंबई मॉडल की तर्ज पर यूपी में पुलिस कमिश्नरी के प्रस्ताव को हरी झंडी दी है, जिसे लखनऊ और नोएडा में लागू किया जाएगा। पुलिस कमिश्नर का पद आईजी रैंक का होगा। इस सिस्टम में दो जॉइंट पुलिस कमिश्नर होंगे। एक कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर देखेंगे जबकि दूसरा पुलिस मुख्यालय का कामकाज देखेंगे। इसी के साथ एडीजी जोन प्रयागराज सुजीत पांडे को लखनऊ और आईजी जोन मेरठ आलोक सिंह को नोएडा का पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया है।
50 साल से हो रही थी मांग
बैठके बाद सीएम योगी ने कहा, पिछले 50 सालों से बेहतर और स्मार्ट पुलिसिंग के लिए पुलिस आयुक्त प्रणाली की मांग की जा रही थी। हमारी कैबिनेट ने ये प्रस्ताव पास किया। कई बार समयबद्ध ढंग से कार्रवाई न होने से न्याय पालिका हमेशा सरकारों को कटघरे में खड़ा करती थी। पुलिस एक्ट के अंतर्गत दस लाख की आबादी के नगरीय क्षेत्र में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होना चाहिए। मुझे खुशी है कि यूपी के दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पुलिस आयुक्त प्रणाली को मंजूरी दी गई।
कमिश्नर सिस्टम में इन अफसरों की होगी तैनाती
उन्होंने कहा, 2011 की जनगणना के अनुसार लखनऊ की आबादी 40 लाख है। नोएडा व ग्रेटर नोएडा को मिलाकर वर्तमान में वहां 25 लाख की आबादी है। इस प्रणाली में पुलिस आयुक्त, एक अपर पुलिस महानिदेशक स्तर का अफसर काम करेगा। उनके साथ दो जॉइंट पुलिस कमिश्नर, जो आईजी रेंज के होंगे। एक लॉ एंड ऑर्डर व एक पुलिस मुख्यालय का काम काज देखेगा। एसपी रैंक के नौ अफसरों की तैनाती होगी। महिला एसपी रैंक की अधिकारी महिलाओं से जुड़े अपराधों पर अंकुश लगाने काम करेगी। एडिशनल एसपी रैंक की महिला अधिकारी की भी तैनाती होगी। यातायात पुलिस एसपी व एडिशनल एसपी रैंक के अधिकारी की तैनाती होगी। निर्भया फंड के अंतर्गत सीसीटीवी कैमरे, ट्रैफिक लाइटिंग के लिए प्रस्ताव तैयार कर सिस्टम को आगे बढ़ाया है।
क्या होता है पुलिस कमिश्नर सिस्टम
पुलिस कमिश्नर सिस्टम में उप पुलिस अधीक्षक (डिप्टी एसपी) से ऊपर जितने अफसर होते हैं, उनके पास मजिस्ट्रेट स्तर की शक्ति होती है। कानून-व्यवस्था से जुड़े मामलों में प्रशासनिक अफसरों का दखल खत्म हो जाएगा। पुलिस को मजिस्ट्रेट की तरह दंगे-फसाद के दौरान लाठीचार्ज, फायरिंग, गिरफ्तारी करने के आदेश देना, धारा 144 लागू करने का अधिकार मिल जाता है। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर होने वाले धरना-प्रदर्शन, जुलूस आदि की परमिशन भी कमिश्नर दे सकता है। फिलहाल, ये सभी अधिकार जिला मजिस्ट्रेट के पास होते हैं। बता दें, देश में दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात के कई जिलों में यह प्रणाली लागू है।
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