सरकार ने लगाया 6 तरह के भत्तों पर रोक, बचेंगे 15 हजार करोड़, 30 जून तक नहीं होंगे सार्वजनिक सभा

Published : Apr 25, 2020, 04:14 PM ISTUpdated : Apr 25, 2020, 04:22 PM IST
सरकार ने लगाया 6 तरह के भत्तों पर रोक, बचेंगे 15 हजार करोड़, 30 जून तक नहीं होंगे सार्वजनिक सभा

सार

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार के इस निर्णय का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि अब तो अधिकारी-कर्मचारी बिना अवकाश लिए अपनी जान पर खेलकर सामान्य दिनों से कई गुना अधिक काम कर रहे हैं। इसके बावजूद सरकार उन्हें हतोत्साहित कर रही है। पेंशन पर निर्भर रहने वाले बुजुर्गों के लिए तो यह और भी घातक निर्णय है।

लखनऊ (Uttar Pradesh) । सरकार कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव, उपचार और राहत कार्यों के लिए खजाना खोले बैठी है। इसी बीच आज सीएम योगी आदित्यनाथ ने आय के स्त्रोत को सहेजने के लिए 16 लाख से अधिक सरकारी कर्मियों के साथ ही शिक्षकों के डीए और पेंशनर्स के डीआर में इजाफे पर रोक लगा दी है। इस संबध में शासनादेश भी जारी किया गया है। बता दें कि सरकार के इस फैसले से 15 हजार करोड़ सरकार के बचने की उम्मीद जताई जा रही है। साथ ही सरकार ने 30 जून तक कहीं पर भी कोई सार्वजनिक सभा नहीं करने का आदेश दिया है।

31 मार्च 2021 तक स्थगित किया भत्ता 
यूपी सरकार ने भी केंद्र की तरह अपने कर्मियों का जनवरी से प्रस्तावित महंगाई भत्ता व पेंशनरों के महंगाई राहत रोकने का एलान किया है। राज्य कर्मचारियों के 6 तरह के भत्तों पर रोक लगाई हैं। इसे 31 मार्च 2021 तक स्थगित रखा जाएगा। इसमें मंहगाई भत्ता विभागीय भत्ते, सचिवालय भत्ता, पुलिस भत्ता भी शामिल हैं। इसका 16 लाख कर्मचारी व 11.82 लाख पेंशनर्स पर इसका असर पड़ेगा। 

आदेश पर विचार करें सरकार
सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र का कहना है राष्ट्रीय आपदा में प्रदेश के सरकारी कर्मचारी आर्थिक सहयोग प्रदान करने में पीछे नहीं है। मंहगाई भत्ते की फ्रीजिंग पर उसे अधिक आपत्ति नहीं थी, किंतु छह भत्तों को मार्च, 2021 तक स्थगित करने से कर्मचारी काफी नाराज हैं। स्थगन संबंधी आदेश को वापस लेने पर सरकार को विचार करना चाहिए।

अखिलेश यादव ने किया विरोध
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार के इस निर्णय का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि अब तो अधिकारी-कर्मचारी बिना अवकाश लिए अपनी जान पर खेलकर सामान्य दिनों से कई गुना अधिक काम कर रहे हैं। इसके बावजूद सरकार उन्हें हतोत्साहित कर रही है। पेंशन पर निर्भर रहने वाले बुजुर्गों के लिए तो यह और भी घातक निर्णय है।

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