छात्र राजनीति से शुरुआत कर राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार तक पहुंचे दयाशंकर सिंह, कुछ ऐसा रहा राजनीतिक सफर

यूपी चुनाव 2022 में बलिया से जीत दर्ज करने के बाद दयाशंकर सिंह को अहम जिम्मेदारी दी गई है। दयाशंकर सिंह ने राजनीति की शुरुआत छात्र जीवन के दौरान ही की थी। इसके बाद वह कई अहम पदों पर भी रहें। यूपी चुनाव के दौरान वह सरोजनीनगर सीट से टिकट की मांग कर रहे थे हालांकि उन्हें बलिया से प्रत्याशी बनाया गया था। 

लखनऊ: योगी सरकार 2.0 का हिस्सा दयाशंकर सिंह यूपी चुनाव 2022 में बलिया से जीत दर्ज कर विधायक बने हैं। चुनाव में मिली जीत के बाद उन्हें राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है। हालांकि दयाशंकर सिंह का यहां तक का सफर आसान नहीं था। उन्होंने इस सफर को तय करने में कई बार असफलताओं का सामना भी किया। 

बलिया से की पढ़ाई और छात्र राजनीति की शुरुआत
मूलरूप से बिहार के बक्सर के रहने वाले दयाशंकर सिंह ने बलिया से जीत हासिल की है। उन्होंने पढ़ाई और शुरुआती राजनीति की शुरुआत भी बलिया से ही की थी।  1972 में जन्मे दयाशंकर सिंह ने अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी। लखनऊ विश्वविद्यालय में कॉलेज के दिनों में वह एबीवीपी के सदस्य थे। 1997 से लेकर 1998 तक दयाशंकर लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव रहें। इसके बाद 1998 से 1999 तक वह अध्यक्ष भी रहे। 

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कई अहम पदों पर निभाई है जिम्मेदारी 
साल 2000 में दयाशंकर सिंह को भाजपा युवा मोर्चा का उत्तर प्रदेश सचिव बनाया गया। इसके बाद वह कई पदों पर रहे और 2007 में भाजयुमो प्रदेश अध्य़क्ष बन गए। दयाशंकर सिंह ने पहली बार 2007 में बलिया नगर सीट से चुनाव लड़ा। उस दौरान उन्हें चुनाव में सफलता नहीं हासिल हो सकी थी। 2007 केचुनाव में उन्हें 7 हजार वोट ही मिले थे और उनकी जमानत जब्त हो गई थी। चुनाव में मिली करारी हार के बाद वह फिर से कार्यसमिति में वापस आ गए। यहां 2010 और 2012 में वह दो बार यूपी बीजेपी के प्रदेश मंत्री बनाए गए। इसके बाद 2015 में उन्हें यूपी बीजेपी का उपाध्यक्ष बनाया गया। मार्च 2016 में फिर से यूपी विधान परिषद का चुनाव हुआ। एक बार फिर इस चुनाव में दयाशंकर सिंह पर पार्टी की ओर से भरोसा जताया गया। हालांकि उसमें भी उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा।

सरोजनीनगर से पेश की दावेदारी, बलिया से मिला टिकट
यूपी चुनाव 2022 में दयाशंकर सिंह और उनकी पत्नी स्वाति सिंह ने सरोजनीनगर सीट से दावेदारी पेश की। हालांकि पति-पत्नी दोनों को ही वहां से टिकट नहीं मिला। पार्टी की ओर से सरोजनीनगर से ED के पूर्व अधिकारी राजेश्वर सिंह को टिकट दिया गया। इसके कुछ दिनों के बाद ही दयाशंकर सिंह को बलिया नगर से प्रत्याशी बनाया गया।

दयाशंकर सिंह से जुड़ी अहम घटनाएं 
1972 में छात्र राजनीति से की पॉलिटिकल करियर की शुरुआत। 
1997 से लेकर 1998 तक लविवि छात्र संघ के महासचिव रहे। 
1998 से 1999 तक अध्यक्ष पद पर निभाई जिम्मेदारी। 
2000 में भाजपा युवा मोर्चा उत्तर प्रदेश सचिव बनाए गए। 
2007 में भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। 
2007 में बलिया से चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 
2010 और 2012 में यूपी बीजेपी के प्रदेश मंत्री बनाए गए। 
2016 में यूपी विधान परिषद का चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 
2022 में बलिया से टिकट मिला और जीत हासिल हुई। 

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