नहीं रहे केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, बेटे चिराग ने एक तस्वीर शेयर कर कहा MissYou पापा

वीडियो डेस्क।  केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का 74 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट कर दी जानकारी। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में भर्ती थे। राम विलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना साल 2000 में की थी। राम विलास पहले जनता पार्टी से होते हुए जनता दल और उसके बाद जनता दूल यूनाइटेड का हिस्सा रहे, लेकिन जब बिहार की सियासत के हालात बदल गए तो उन्होंने अपनी पार्टी बना ली। दलितों की राजनीति करने वाले पासवान ने 1981 में दलित सेना संगठन की भी स्थापना की थी। एलजेपी का गठन सामाजिक न्याय और दलितों पीड़ितों की आवाज उठाने के मकसद से किया गया था। बिहार में दलित समुदाय की आबादी तो करीब 17 फीसदी है, लेकिन दुसाध जाति का वोट करीब पांच फीसदी है, जो एलजेपी का कोर वोट बैंक माना जाता है और इस जाति के सर्वमान्य नेता राम विलास पासवान माने जाते हैं।

वीडियो डेस्क।  केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का 74 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट कर दी जानकारी। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में भर्ती थे।  राम विलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना साल 2000 में की थी। राम विलास पहले जनता पार्टी से होते हुए जनता दल और उसके बाद जनता दूल यूनाइटेड का हिस्सा रहे, लेकिन जब बिहार की सियासत के हालात बदल गए तो उन्होंने अपनी पार्टी बना ली। दलितों की राजनीति करने वाले पासवान ने 1981 में दलित सेना संगठन की भी स्थापना की थी। एलजेपी का गठन सामाजिक न्याय और दलितों पीड़ितों की आवाज उठाने के मकसद से किया गया था। बिहार में दलित समुदाय की आबादी तो करीब 17 फीसदी है, लेकिन दुसाध जाति का वोट करीब पांच फीसदी है, जो एलजेपी का कोर वोट बैंक माना जाता है और इस जाति के सर्वमान्य नेता राम विलास पासवान माने जाते हैं।

डीएसपी पद के लिए हो चुका था चयन 
खगड़िया के एक दलित परिवार में जन्मे रामविलास पासवान ने एमए औऱ एलएलबी करने के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने यूपीएससी क्लियर भी कर लिया और उनका चयन डीएसपी पद के लिए हो गया था। जब उनका चयन यूपीएससी में हुआ तभी वह समाजवादी नेता राम सजीवन के संपर्क में आए और राजनीति का रुख कर लिया। 1969 में वह अलौली विधानसभा से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और विधानसभा पहुंचे। इसके बाद पासवान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1977 में वह जनता पार्टी के टिकट पर हाजीपुर से लोकसभा का चुनाव लड़े औऱ सबसे अधिक वोटों के अंतर से जीतने का विश्व रिकॉर्ड बना लिया। 1989 में रामविलास ने इसी सीट से अपना ही रिकॉर्ड तोड़ नया कीर्तिमान बनाया। बाद में उनका ये रिकॉर्ड भी नरसिम्हा राव समेत दूसरे नेताओं ने तोड़ा। पासवान पिछले 29 सालों में करीब हर प्रधानमंत्री के साथ काम कर चुके हैं। नरसिम्हा राव की कैबिनेट में वह नहीं थे। राम विलास पासवान ने साल 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया। राम विलास पासवान पार्टी के अध्यक्ष बने और लंबे अरसे तक रहे।साल 2019 में लोकसभा चुनावों से पहले राम विलास पासवान ने अपने बेटे चिराग पासवान को पार्टी का अध्यक्ष बना दिया।

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