CAA और NRC में क्या अंतर है, क्या इससे खतरे में हैं मुसलमान

CAA और NRC में क्या अंतर है, क्या इससे खतरे में हैं मुसलमान

Published : Dec 17, 2019, 02:31 PM IST

लोगों में एक आम धारणा है कि नागरिकता कानून और नेशनल नागरिक रजिस्टर (NRC) एक ही हैं लेकिन ऐसा नहीं है। 

वीडियो डेस्क। नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ लोगों का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। नागरिकता के इस नए कानून को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी है। पूर्वोत्तर के लोग अस्मिता और संस्कृति को बचाने का हवाला देकर संघर्ष कर रहे हैं तो मुस्लिम समाज इस कानून को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताकर विरोध कर रहा है। उन्हें लगता है कि इस विधेयक के जरिए मुसलमानों को आने वाले समय में एनआरसी प्रक्रिया के कारण दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं। इसीलिए CAA के खिलाफ मचे बवाल को NRC के विरोध का ट्रेलर माना जा रहा है। लोगों में एक आम धारणा है कि नागरिकता कानून और नेशनल नागरिक रजिस्टर (NRC) एक ही हैं लेकिन ऐसा नहीं है। आइए विदेश मामलों के जानकर अभिषेक खरे जानते हैं इन दोनों चीजों के बीच का अंतर। 

नागरिकता संशोधन बिल 2019 क्या है
नागरिकता संशोधन बिल 2019 नागरिकता संशोधन विधेयक 1955 में संशोधन के लिए है। इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह समुदायों हिंदू, सिख, जैन बौद्ध, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों को नागरिकता देना है. इनमें वह सभी शामिल होंगे जो वैध दस्तावेज के बिना भारत आए हैं या जिनके दस्तावेज की समय सीमा समाप्त हो गई है। अगर कोई व्यक्ति इन तीन देशों में से आया है और उसके पास अपने माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र नहीं है तब भी छह साल के निवास के बाद उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी।

नागरिकता संशोधन बिल और NRC में अंतर
असम में हुई NRC की प्रक्रिया का उद्देश्य अवैध प्रवासियों की पहचान करके उन्हें नागरिकता के आधार पर वंचित करना था. इसके मुताबिक, किसी व्यक्ति को भारत का नागरिक होने के लिए ये साबित करना हो गा कि या तो वह या उसके माता-पिता 24 मार्च की मध्य रात्रि 1971 से पहले असम में थे क्योंकि इस तारीख के अगले ही दिन बांग्लादेश में मुक्ति का संघर्ष शुरु हुआ था. जिसमें हजारों की संख्या में शरणार्थी भारत में आए थे वहीं दूसरी ओर नागरिकता संशोधन बिल धर्म के आधार पर लोगों को नागरिकता देता है।

क्या है NRC
राष्ट्रीय नागरिक पंजी या रजिस्टर एक ऐसा रजिस्टर है जिसमें सभी वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम हैं। वर्तमान में केवल असम के पास ही ऐसा रजिस्टर है। यानी NRC सिर्फ अभी असम में लागू है। हाल ही में यह भी घोषणा हुई है कि पूरे देश में NRC लागू होगा. असम में NRC मूल रूप से राज्य में रहने वाले भारतीय नागरिकों की एक सूची है। नागरिकों का रजिस्टर इस लिए बनाया गया था कि बांग्लादेश के सीमावर्ती राज्यों में विदेशी नागरिकों की पहचान के बारे में पता चल सके।एनआरसी 1951 में तैयार किया गया था. 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एनआरसी अपडेट करने की प्रक्रिया शुरु हुई. इसका उद्देश्य था 1971 के बाद बड़ी संख्या में बांग्लादेश से असम में आने वाले अवैध प्रवासियों की पहचान करना है। 1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के दौरान लाखों की संख्या में बांग्लादेशी नागरिक सीमा पार करके असम आ गए थे।

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