वीडियो डेस्क। धर्म और परंपरा की नगरी काशी में इस बार सदियों से चली आ रही परंपरा टूटती खंडित होती नजर आ रही है। हम बात कर रहे हैं काशी के महा श्मशान घाट मणिकर्णिका घाट पर होने वाली चैत्र मास के सप्तमी पर नगरवधुओं के नृत्य की। नगरवधुओं के नृत्य की ये परंपरा 350 साल से भी ज्यादा पुरानी है।
वीडियो डेस्क। धर्म और परंपरा की नगरी काशी में इस बार सदियों से चली आ रही परंपरा टूटती खंडित होती नजर आ रही है। हम बात कर रहे हैं काशी के महा श्मशान घाट मणिकर्णिका घाट पर होने वाली चैत्र मास के सप्तमी पर नगरवधुओं के नृत्य की। नगरवधुओं के नृत्य की ये परंपरा 350 साल से भी ज्यादा पुरानी है। धधकती चिताओं के बीच नगरवधुएं पैरों में घुंघरू बांध पूरी रात नृत्य करती है। जिसे देखने दूर दूर से लोग आते हैं। माना जाता है कि नगरवधू एक इच्छा के साथ पूरी रात नृत्य करती हैं कि ईश्वर उन्हें दोबारा नगरवधू होने का जन्म न दे। लेकिन प्रशासन की उदासीनता के कारण ये परंपरा दम तोड़ती नजर आ रही है। दरअसल जहां नगरवधुएं नृत्य करती हैं वहां लकड़ी व्यापारी कब्जा जमाए हुए हैं। आयोजकों की मानें तो वो नगर निगम से गुहार लगा रहे लेकिन अधिकारियों के कानों पर जू नही रेंग रहा है।