मोहल्ले का नाम बदलने का जारी हुआ शासनादेश, कई सालों से जुटे लोगों की मुहिम लाई रंग

उन्नाव के बांगरमऊ विधानसभा में मोहल्ले का नाम बदलने के लिए शासनादेश जारी हो गया है। कई सालों की मुहिम का असर देखने को मिल गया है क्योंकि यहां के भंगियाना मोहल्ले के नाम को बदलने की मांग उठी थी। 

उन्नाव: उत्तर प्रदेश के जिले उन्नाव के बांगरमऊ विधानसभा में मोहल्ले का नाम जातिसूचक (भंगियाना) होने से कई साल से इसे बदलने की मांग की मुहिम में जुटे लोगों को अब राहत मिली है। भंगियाना मोहल्ले का नाम बदलकर अब उसका नया नाम सिद्धार्थनगर हो गया है। हाईकोर्ट जवाब मांगने के बाद हरकत में आए नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने मोहल्ले का नाम बदलकर सिद्धार्थनगर करने का शासनादेश जारी कर दिया। इससे लोगों में खुशी है। 

बांगरमऊ के चेयरमैन इजहार खां ने बताया कि तीन वर्ष पूर्व बोर्ड के मीटिंग में लोगों ने इसका नाम बदलने के लिए शासन को भेजा था और शासन से मांग की थी कि इसका नाम बदल दिया जाए। मोहल्ले के नाम जाति से जुड़ा हुआ है तो आज यह मालूम हुआ कि सरकार ने एक नया शासन आदेश लागू कर दिया है। जिन मोहल्लों में जहां कहीं भी जातिसूचक नाम से मोहल्ले होंगे वहां बोर्ड स्वयं अपना निर्णय ले कर नगर पालिका टाउन एरिया के लोग कर सकते हैं। बोर्ड के प्रस्ताव आते ही खुशी की बात है, एक जो काफी लोगों में रोष और तनाव रहता था उसको खत्म करने का प्रयास सरकार ने किया है। ये सरकार का एक काफी अच्छा उचित कदम है और हाईकोर्ट ने भी इस पर संज्ञान लिया है। तो अब यह नाम हो गया है इसलिए हम सरकार की बहुत बहुत-बहुत प्रशंसा करते हैं।
 
वहीं एडवोकेट फारूक अहमद का कहना है कि ज्ञानेंद्र कुमार की तरफ से 27 अप्रैल 2022  को हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। पांच मई 2022 को सरकार की तरफ से पेश हुए स्थायी अधिवक्ता ने न्यायालय से आवश्यक कार्रवाई के लिए पांच दिन का समय मांगा था। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 10 मई 2022 तय की थी। सुनवाई से पहले ही नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात अपने मोहल्ले का नाम सिद्धार्थ नगर करने का शासनादेश जारी कर दिया। उन्होंने आगे बताया कि उच्च न्यायालय ने यह आदेश पारित किया कि संविधान को लागू हुए 62 साल पूरे हो चुके हैं और आज भी कस्बा बांगरमऊ में मोहल्ले और वार्ड का नाम भंगियाना है। जो असंवैधानिक है जिसको बदलने के लिए नगर पालिका परिषद की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव भी पास हुआ। लेकिन उसके बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार ने नहीं किया। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि कि उत्तर प्रदेश सरकार 5 दिनों में इस संबंध में उचित आदेश पारित करें और अगली सुनवाई के लिए 10 मई 2022 को दिया था। 

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