भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में चैत्र नवरात्र के पहले दिन से ही माता के मंदिरों में लोगों का आना शुरू हो गया है। वहीं मां वैष्णो देवी मंदिर की मान्यता के बारे में मंदिर के सेवायत पुजारी रामेदयाल गौतम ने बताया कि काफी प्राचीन मंदिर मां वैष्णो देवी का है।
मथुरा: देशभर में चैत्र नवरात्रों के पहले दिन से ही भक्त व्रत रखकर मां की आराधना में जुट गए हैं। श्रद्धालु सेवा पूजा करने के बाद मां से मनवांछित फल की कामना करते दिखाई दे रहे हैं। माता के मंदिरों में लोगों का आना शुरू हो गया है और मंदिरों में माता के भजन लाउडस्पीकर से बजाए जा रहे हैं, ताकि वातावरण भक्ति में हो सके।
भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में चैत्र नवरात्र के पहले दिन से ही माता के मंदिरों में लोगों का आना शुरू हो गया है। मंदिरों में पहुंचकर लोग विधि विधान से माता की पूजा कर रहे हैं। गांव नरहोली स्थित मां वैष्णो देवी मंदिर पर भी मां के भक्तों का आना शुरू हो गया है। भक्त माता की भक्ति में सराबोर नजर आ रहे हैं। वहीं मां वैष्णो देवी मंदिर की मान्यता के बारे में मंदिर के सेवायत पुजारी रामेदयाल गौतम ने बताया कि काफी प्राचीन मंदिर मां वैष्णो देवी का है। यहां माता स्वयं पृथ्वी से प्रगट हुईं। उन्होंने कहा कि 1983 से मैं मंदिर की सेवा कर रहा हूं और यह 47 वां जन्मदिन मां वैष्णो देवी का मनाया जा रहा है। मंदिर की प्रतिष्ठा 1983 में हुई थी। उन्होंने बताया कि एकमात्
दर्शन करने से ही सभी मनोकामना पूरी लोगों की हो जाती हैं। पंडित जी का कहना है कि यहां से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है और दुखी के दु:ख हर जाते हैं। मंदिर के सेवायत का कहना है कि सिंह सवारी पर सवार मां वैष्णो देवी पहले उनका आगमन पृथ्वी मार्ग से प्रगट हुईं। उनके बाद तीन पिंडियां आकाश मार्ग से धरती पर अवतरित हुईं। 17 फरवरी 1976 में यह चमत्कार हुआ। पंडित जी का कहना है की माता स्वयं कलश लेकर आई थीं।
कोविड-19 महामारी की गाइड लाइनों को भी ध्यान में रखते हुए मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को दर्शन कराए जा रहे हैं। मंदिर प्रशासन के लोग भी लोगों से कोविड-19 महामारी की गाइड लाइंस का पालन करने की अपील भी कर रहे हैं।