ज्ञानवापी परिसर में राग-भोग पूजन की जिद पर अड़े पिछले चार दिनों से अन्न जल त्याग कर अनशन पर बैठे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने 108 घंटे बाद अपने गुरु जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती के कहने पर अपना अनशन बुधवार सुबह सात बजे समाप्त कर दिया। पत्र में यह भी आदेश दिया गया है कि आदि विश्वेश्वर के भव्य मंदिर निर्माण के लिए देशव्यापी अभियान चलाएं।
वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में राग-भोग पूजन की जिद पर अड़े पिछले चार दिनों से अन्न जल त्याग कर अनशन पर बैठे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने 108 घंटे बाद अपने गुरु जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती के कहने पर अपना अनशन बुधवार सुबह सात बजे समाप्त कर दिया। पत्र में यह भी आदेश दिया गया है कि आदि विश्वेश्वर के भव्य मंदिर निर्माण के लिए देशव्यापी अभियान चलाएं।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को उनके गुरु ज्योतिष पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का पत्र प्राप्त हुआ। पत्र में स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती ने कहा है कि स्वास्थ्य कारणों से उनका अभी वाराणसी आना संभव नहीं है। वे चाहते हैं कि श्रीविद्यामठ में आदि विश्वेश्वर के प्रतीक पूजा उसी प्रकार शुरु की जाए, जैसे कॉरिडोर के निर्माण के वक्त तोड़े गए अनेकों शिवलिंग की पूजा प्रतीक रुप में मठ में निरंतर हो रही है।
पत्र में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने अविमुक्तेश्वरानंद को यह भी आदेशित किया है कि भविष्य में आदि विश्वेशवर भगवान के भव्य मंदिर निर्माण केलिए देशव्यापी अभियान चलाएं और जो भी सार्थक प्रयास हो वे करें, जिससे वह स्थान समस्त सनातनियों के गौरव का केंद्र बने।
बता दें, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने 4 जून को ज्ञानवापी परिसर में पूजा का ऐलान किया था। हालांकि पुलिस और प्रशासन ने उन्हें ज्ञानवापी जाने से रोक दिया तो वह श्रीविद्या मठ में अनशन पर बैठ गए थे। मठ के बाहर भी प्रशासन ने सुरक्षा के दृष्टिगत फोर्स तैनात की है। इसके बाद अविमुक्तेश्वरानंद ने संकल्प लिया था कि जब तक शिवलिंग की पूजा शुरू नहीं हो जाती तब तक वह अन्न-जल ग्रहण नहीं करेंगे। शिष्यों के अनुसार, इस अन्न जल त्याग तपस्या के दौरान स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का वजन 5 किलो 400 ग्राम घट गया है।