वीडियो डेस्क। गर्मी बढ़ने के साथ ही देशी फ्रिज कहे जाने वाले मटकों की मांग भी बढ़ गई है। मांग बढ़ने के साथ-साथ दामों में भी इजाफा हुआ है। कोरोना काल में लोगों ने ठंडे पानी से परहेज किया लेकिन पिछले साल की तुलना में इस साल मटकों के दाम दोगुने हो गए हैं। मटका विक्रेता इसे महंगाई का असर बता रहे हैं।
वीडियो डेस्क। गर्मी बढ़ने के साथ ही देशी फ्रिज कहे जाने वाले मटकों की मांग भी बढ़ गई है। मांग बढ़ने के साथ-साथ दामों में भी इजाफा हुआ है। कोरोना काल में लोगों ने ठंडे पानी से परहेज किया लेकिन पिछले साल की तुलना में इस साल मटकों के दाम दोगुने हो गए हैं। मटका विक्रेता इसे महंगाई का असर बता रहे हैं। वहीं खरीददारी करने आए ग्राहकों का कहना है कि दामों में दोगुने का अतंर आ गया है। इस बार की गर्मी ने शुरुआत में ही अपना प्रचंड रूप दिखाना शुरू कर दिया है। आलम यह है कि तापमान अभी 42 डिग्री के करीब पहुंच गया है। अगर अभी ये हालात हैं तो मई-जून के महीनों कितनी प्रचंड गर्मी पड़ेगी। गर्मी का मौसम शुरू होते ही शहर के बाजार में मटको की दुकानें लग चुकी हैं| और जिसके बाद से ही मटकों की मांग बनी हुई है। साथ ही इस साल मटके की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मटके के दाम दोगुने हो गए हैं। इस बार बाजार में कई तरह के मटके देखने को मिल रहे है| दुकानों पर टोटी वाले भी मटके है जोकि एक दम वाटरकूलर का मजा देता है| मटकों के साथ ही सुराही भी बाजार में बिक रही है| दोगुने दाम के बाद भी इनकी बिक्री में कमी नहीं आई है। मटका विक्रेताओं का कहना है कि कोरोना के बाद से सभी चीजों के दाम बढ़ गए हैं, जिसके चलते ही मटकों के दाम भी बढ़े हैं। जो मटका 200 रु, बिक रहा था वह 250 का बिक रहा है जो मटका 150 का बिक रहा था वह 200 का बिक रहा है 150 वाली चीज 200 की बिक रही है 100 की बिक रही थी वह 125 की बिक रही है| गर्मी को देखते हुए बाजार में मटके की मांग बनी हुई है। महंगाई की मार से देशी फ्रिज भी अछूता नहीं रहा है। मटके के निर्माण के लिए मिट्टी, पैरा और लकड़ी सभी सामग्री खरीदनी पड़ती है। सभी के दामों में बढ़ोत्तरी हुई है, जिसके कारण ही मटके के दाम भी बढ़े हैं।