बनारस के भेलूपुर थाना अंतर्गत डीएस रिसर्च सेंटर बनारस के आयुर्वेद एवं एलोपैथिक डॉक्टरों ने एक बैठक का आयोजन किया। जिसमें कैंसर के इलाज के लिए डॉक्टरों ने एक छत के नीचे मंथन किया। काशी में कैंसर के मरीजों का इलाज आयुर्वेदिक पद्धति से जुलाई का माह सार्कोमा कैंसर माह के तौर पर मनाया जाता है।
वाराणसी: बनारस के भेलूपुर थाना अंतर्गत डीएस रिसर्च सेंटर बनारस के आयुर्वेद एवं एलोपैथिक डॉक्टरों ने एक बैठक का आयोजन किया। जिसमें कैंसर के इलाज के लिए डॉक्टरों ने एक छत के नीचे मंथन किया। काशी में कैंसर के मरीजों का इलाज आयुर्वेदिक पद्धति से जुलाई का माह सार्कोमा कैंसर माह के तौर पर मनाया जाता है। कैंसर कई प्रकार के होते हैं कैंसर को लेकर एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया सार्कोमा एक खास प्रकार रोग है जो कैंसर के लोगों में पाया जाता है यह बहुत ही खतरनाक होता है। इस पर एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस संवाद कार्यक्रम में आयुर्वेद और एलोपैथिक डॉक्टरों ने एक छत के नीचे बैठकर आपस में संवाद किया गया ।
आयुर्वेद और एलोपैथ में भावनात्मक रिश्ता नहीं रहा है। लेकिन उस रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए डीएस रिसर्च सेंटर इन दोनों ही डाक्टरों को बुलाकर संवाद कराती है। कैंसर के इलाज को बेहतर तरीके से किस तरह से किया जाए। कैंसर भारत से मुक्त किया जाए, इसको लेकर समय-समय पर संवाद स्थापित किया जाता है। इस संवाद कार्यक्रम में कई डॉक्टरों ने हिस्सा लिया। आयुर्वेद की डॉक्टर रिचा त्रिपाठी एलोपैथ के मशहूर सर्जन सुधीर सिंह आर्थो के मशहूर डॉ गौतम चक्रवर्ती, वहीं बात दंत विशेषज्ञ डॉक्टर शांतनु बाजपेई इन सभी डॉक्टरों ने मिलकर डीएस रिसर्च सेंटर की टीम के साथ एक संवाद स्थापित किया और कैंसर के इलाज को लेकर एक बेहतर विकल्प पर चर्चा की। कार्यक्रम के संचालक विनय त्रिपाठी ने बताया कि डीएस रिसर्च सेंटर लगातार कैंसर के मरीजों को आयुर्वेद पद्धति से इलाज और बेहतर दवाइयां मुहैया करा रहा है और इस सेंटर की शुरू से यह लक्ष्य रहा है कि कैंसर को भारत से मुक्त किया जाए।
क्या है सार्कोमा
सारकोमा एक कैंसर है, जो कि मूल मेसेंकाइमल की कोशिकाओं से उत्पन्न होता है। घातक ट्यूमर, जो कि कैन्सिलस बोन, उपास्थित, वसा, मांसपेशियों, नाड़ी संबंधी या हेमटापोएटिक ऊतकों से बनते है, उनको सारकोमा कहा जाता है।