रसगुल्लों का असली बाप कौन? 4 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला

जब भी रसगुल्लों का जिक्र आता है, लोग वेस्ट बंगाल के बारे में ही सोचते हैं। लेकिन कानून ने अब इस बात पर मुहर लगा दी है कि रसगुल्लों पर बंगाल नहीं, ओडिशा का हक है। ओडिशा ने इसका जीआई टैग जीता है। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 30, 2019 6:01 AM IST

नेशनल: पिछले चार साल से बंगाल और ओडिशा के बीच इस बात की जंग छिड़ी थी कि आखिर रसगुल्लों पर किसका हक है? लेकिन अब कानून ने फैसला ओडिशा के हक में सुनाया है। इस राज्य ने रसगुल्लों के जीआई टैग को जीता है।  


क्या होता है जीआई टैग? 
जीआई टैग का फुल फॉर्म होता है जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग। ये टैग किसी भी खास चीज के लिए विशेषाधिकार दिलाता है। जैसे दार्जलिंग की चाय का टैग दार्जलिंग तो चंदेरी की साड़ी का जीआई टैग मलिहाबाद को मिला हुआ है। 

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कानून की नजर में जीआई 
इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन ने 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत इसे लागू किया था। इसके बेसिस पर किसी ख़ास राज्य में मिलने वाली खास चीज का कानूनी अधिकार उस स्टेट को दिया जाता है। इस टैग की मान्यता 10 साल तक रहती है।  

 

टैग के कई फायदे 
इस टैग से उस खास सामान की वैल्यू काफी बढ़ जाती है। लोग उस जगह पर आकर विशेष रूप से सामान खरीदते हैं। जिसके कारन इंडस्ट्री को फायदा पहुंचता है। साथ ही टूरिज्म भी फलता-फूलता है।  


अब बंगाल नहीं ओडिशा का है रसगुल्ला 
4 साल तक की कानूनी लड़ाई में ओडिशा ने रसगुल्ला का जीआई टैग जीत लिया है। इसका मतलब अब बंगालियों का रसगुल्ले से हक खत्म हो गया है।  
 

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