कोरोना महामारी लगातार बढ़ती ही चली जा रही है। दुनिया बर में इसके 29.95 लाख मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, इससे मरने वालों की संख्या 2 लाख 7 हजार हो चुकी है। दुनिया का हर छोटा-बड़ा देश इस महामारी का शिकार है। यह कह पाना आसान नहीं है कि यह महामारी कब तक खत्म होगी।
हटके डेस्क। कोरोना महामारी लगातार बढ़ती ही चली जा रही है। दुनिया भर में इसके 29.95 लाख मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, इससे मरने वालों की संख्या 2 लाख 7 हजार हो चुकी है। दुनिया का हर छोटा-बड़ा देश इस महामारी का शिकार है। यह कह पाना आसान नहीं है कि यह महामारी कब तक खत्म होगी। लेकिन मलेशिया में कहा जा रहा है कि यह महामारी मई के अंत तक खत्म हो जाएगी। बता दें कि मलेशिया में कोरोना वायरस संक्रमण के 5, 820 मामले सामने आए हैं और इससे वहां 99 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस से बचाव के लिए मलेशिया में मूवमेंट कंट्रोल ऑर्डर (MCO) लागू किया गया है, जो लॉकडाउन की तरह ही है।
किस आधार पर किया दावा
बता दें कि मलेशिया में मई के आखिर तक कोरोना वायरस के खत्म होने का दावा सिंगापुर यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन (SUTD) द्वारा की गई एक स्टडी के आधार पर किया गया है। इसमें कहा गया है कि जो डाटा उन्हें मिला है, उसके अनुसार 6 मई, 2020 से कोरोना वायरस की महामारी कम होने लगेगी।
साइंटिफिक है स्टडी
मई के अंत तक महामारी के खत्म होने का दावा साइंटिफिक स्टडी के आधार पर किया गया है। इसके लिए ससेप्टिबल इन्फेक्टेड रिकवर्ड (SIR) प्रिडक्टिव मॉडलिंग, दूसरे फैक्टर्स जैसे अडैप्टिव और काउंटरिंग बिहेवियर्स एंजेंट्स जिनमें सोशल डिस्टेंसिंग भी शामिल है और सरकारी प्रयासों जैसे लॉकडाउन के अलावा इको सिस्टम भी जिम्मेदार है।
स्टडी में 28 देशों को किया गया शामिल
SUTD की इस स्टडी में मलेशिया के अलावा 28 दूसरे देशों को भी शामिल किया गया है और प्रिडक्टिव मॉडलिंग के आधार पर निष्कर्ष निकाले गए हैं। ग्राफिक कैलकुलेटर का इस्तेमाल करके एक ग्राफ तैयार किया गया है, जिससे पता चलता है कि मलेशिया में 6 मई तक कोरोना वायरस के 97 फीसदी मामले खत्म हो जाएंगे और मई के अंत तक यह महामारी स्थानीय स्तर पर पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
दुनिया में कोविड महामारी दिसंबर में होगी खत्म
इस स्टडी में यह भी दावा किया गया है कि 29 मई तक पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के मामलों में 97 प्रतिशत की कमी आएगी और 8 दिसंबर तक यह महामारी दुनिया से पूरी तरह खत्म हो जाएगी। बता दें कि ससेप्टिबल इन्फेक्टेड रिकवर्ड (SIR) मॉडल का इस्तेमाल इतिहास में कई महामारियों की स्टडी में किया गया है। सार्स और एचआईवी/एड्स महामारी के दौरान भी इस मॉडल का इस्तेमाल महामारी के प्रभाव को समझने और इसके बारे में प्रिडक्शन के लिए किया गया था। बहरहाल, यह दावा कितना सच है, इसके बारे में ठीक से कुछ नहीं कहा जा सकता। यह महज एक भविष्यवाणी है और इस पर शत-प्रतिशत कोई भरोसा नहीं कर सकता।