बर्फ में हुई खाने की कमी तो अपने ही परिवार को खाने लगा पिता, मासूम बच्चों की चबा गया हड्डियां

क्लाइमेट चेंज से पर्यावरण पर जो संकट मंडरा रहा है, उसका सबसे बुरा असर पोलर बीयर्स पर पड़ा है। सफेद रंग के ये भालू ध्रुवीय क्षेत्रों में रहते हैं, लेकिन अब इनके लिए भोजन की कमी होती जा रही है। 

Manoj Jha | Published : Mar 1, 2020 9:12 AM IST

हटके डेस्क। क्लाइमेंट चेंज से पर्यावरण पर जो संकट मंडरा रहा है, उसका सबसे बुरा असर पोलर बीयर्स पर पड़ा है। सफेद रंग के ये भालू ध्रुवीय क्षेत्रों में रहते हैं, लेकिन अब इनके लिए भोजन की कमी होती जा रही है। क्लाइमेंट चेंज की समस्या से बर्फ तेजी से पिघल रही है। इससे इन भालुओं के लिए भोजन की कमी होती जा रही है। इस वजह से अब ये भालू अपने बच्चों को ही खाने लगे हैं। ये भालू मादा भालुओं को भी खाने के लिए मार रहे हैं। जो भी इसके बारे में सुन रहा है, वह अचरज में पड़ जा रहा है, क्योंकि अपने बच्चों को मार कर खाने की प्रवृत्ति शायद ही किसी प्रजाति के जानवरों में देखी गई हो। 

क्या कहा रूसी वैज्ञानिक ने
इसे लेकर एक रूसी वैज्ञानिक मोर्दविन्तसेव का कहना है कि पोलर भालुओं में अपने बच्चों और मादा भालुओं को खाने की प्रवृत्ति काफी पहले से है। जब भी भोजन की कमी होती है, ये भालू अपने बच्चों और मादा भालुओं पर हमालवर हो उठते हैं और उन्हें मार कर खा जाते हैं। ये उनके बहुत आसान टार्गेट होते हैं। आम लोग यह जानकर बेहद हैरान हो जाते हैं, लेकिन जब भोजन की कमी हो जाती है तो मादा भालू अपने बच्चों तक को खा जाती है। मोर्दविन्तसेव ने कहा कि अपने फैमिली मेंबर्स को ही खा जाने की प्रवृत्ति पोलर भालुओ में बहुत पुरानी है। लेकिन पहले जहां ऐसी घटनाएं कभी-कभार होती थीं, अब बहुत ज्यादा होने लगी है। यह एक चिंता की बात है।

समुद्र में शिकार करते हैं पोलर भालू
पोलर भालू अक्सर समुद्र में सील का शिकार करते हैं और उन्हें खा जाते हैं। वे सील का शिकार करने के लिए समुद्र के बर्फ का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन तापमान में बढ़ोत्तरी होने से बर्फ तेजी से गल रही है और पोलर भालुओं को शिकार कर पाने में दिक्कत हो रही है। इसलिए सर्वाइवल के लिए उन्हें अपने ही बच्चों को मारना पड़ रहा है। 

लोगों की गतिविधियों का भी पड़ रहा असर
पोलर भालुओं के ऐसे व्यवहार के पीछे उनके निवास क्षेत्र में लोगों की बढ़ती गतिविधियां भी वजह बन रही हैं। जिन इलाकों में पोलर भालू रहते हैं, वहां अब बड़े पैमाने पर फॉसिल फ्यूल निकाला जा रहा है। जिन समुद्री क्षेत्रों में पोलर भालू शिकार कर अपना पेट भरते थे, वहां लिक्विफाइड नैचुरल गैस से भरे बड़े-बड़े जहाज आते-जाते हैं। इससे पोलर भालुओं के लिए भोजन का संकट पैदा हो गया है। हाल ही में की गई एक स्टडी से पता चला है कि पोलर भालू अपने शिकार को बर्फ में दबा देते हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें खाया जा सके। लेकिन बर्फ के तेजी से गलने से अब वे ऐसा भी नहीं कर सकते। इसलिए अपने ही बच्चों और मादा भालुओं को मार कर खाना उनकी मजबूरी बन गई है।  

 

  
 

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