बेहद खौफनाक है एवरेस्ट की चढ़ाई, लाशों पर चढ़कर गुजरने को मजबूर होते हैं लोग

इन दिनों नार्थ इंडिया के कई इलाकों में भारी बर्फ़बारी हो रही है। कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कई इलाके बर्फ की सफ़ेद चादर से ढंक गए हैं। बात अगर बर्फ की करें, तो माउंट एवरेस्ट की सफ़ेद चोटियां हमेशा से पर्वतारोहियों को आकर्षित करती रही है। लेकिन इसकी चढ़ाई का रास्ता मौत का रास्ता है। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 10, 2020 5:21 AM IST / Updated: Jan 10 2020, 03:28 PM IST

हटके डेस्क: पर्वतारोहियों के लिए माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई सबसे बड़ा सपना होता है। दुनिया की सबसे ऊँची छोटी फतह करने के लिए हर साल कई पर्वतारोही एवरेस्ट की चढ़ाई करते हैं। इनमें किसी को सफलता मिलती है, तो कोई कोई बीच में ही हिम्मत हार जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल नेपाल से आए 11 पर्वतारोहियों ने कुछ ही समय में एवरेस्ट पर दम तोड़ दिया था। इसकी चढ़ाई मौत के मुंह में जाने से कम नहीं है। 

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रास्ते में मिलेगी लाशें 
एक रिपोर्ट के मुताबिक, एवरेस्ट पर करीब 200 ऐसी लाशें हैं, जो कई सालों से वहां पड़ी है। ये उन लोगों की लाशें है जो एवरेस्ट पर फतह करने के लिए चढ़े तो थे लेकिन कभी नीचे नहीं उतर पाए। कभी ऑक्सीजन की कमी, कभी खराब मौसम तो कभी हिमस्खलन, कई कारणों के कारण बीच में ही लोगों की जान चली गई। लेकिन इतनी ऊंचाई से लाश के साथ नीचे उतर पाना काफी मुश्किल है। इस कारण इन लाशों को वहीं बर्फ में छोड़ दिया गया। 

टेंटों में लाशों का ढेर 
पिछले साल एवरेस्ट की चढ़ाई कर लौटे कनाडाई फिल्ममेकर एलीआ साइकलय ने एवरेस्ट की चढ़ाई की थी। इसके बाद उन्होंने वहां की खौफनाक सच्चाई लोगों के साथ शेयर की। उन्होंने बताया कि कैसे एक ही टेंट में उन्होंने लाशों का ढेर देखा। साथ ही उन्होंने समुद्र तल से नौ हजार फ़ीट की ऊंचाई पर रस्सियों से चिपकी लाशों की तस्वीरें खींची। 

रास्ता दिखाती हैं लाशें 
एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान रास्ते में कई लाशें आपको दिखाई देंगी। सालों पुरानी ये लाशें अब अन्य पर्वतारोहियों को रास्ता दिखाती हैं। इन्हें ग्रीन बूट्स कहा जाता है। जब पर्वतारोही चढ़ाई का नक्शा तैयार करते हैं, तो इन लाशों को भी उसमें निशाने केतौर पर जोड़ा जाता है। इस चढ़ाई के दौरान जो भयावह चीजें देखने को मिलती है वो खौफनाक है। 


दुनिया की सबसे  ऊंची छोटी 
हर पर्वतारोही एवरेस्ट की चढ़ाई का सपना रखता है। इसकी ऊंचाई 29 हजार 29 फ़ीट है। इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। हर साल कई बहादुर इसकी चढ़ाई का सपना लेकर आते हैं। इनमें से कुछ सफल हो जाते हैं तो कुछ बीच में ही हार मान लौट जाते हैं। 

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