जानें मौत के बाद कहां जाता है शरीर...

अब तक यह माना जाता है कि किसी के मरने के बाद उसकी आत्मा भटकती है। लेकिन एक साइंटिफिक स्टडी में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि किसी की मौत के बाद करीब एक साल तक उसका शरीर भी भटकता है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 14, 2019 4:41 AM IST / Updated: Sep 14 2019, 12:59 PM IST

सिडनी। पूरी दुनिया में यह मान्यता है कि इंसान तो मर जाता है, पर आत्मा अजर-अमर है। वह नहीं मरती। ऐसा कहा जाता है कि कुछ लोगों की आत्मा भटकती रहती है। इसी से भूत-प्रेत और बुरी आत्माओं से जुड़ी कहानियां सामने आईं। लेकिन ऑस्ट्रेलिया की एक महिला वैज्ञानिक ने दावा किया है कि मरने के बाद करीब एक साल तक किसी इंसान का शरीर भी भटकता है। यह अलग बात है कि यह सभी को दिखाई नहीं पड़ता। यह दावा एलिसन विल्सन नाम की वैज्ञानिक ने किया। उसने कहा कि एक साइंटिफिक स्टडी से यह बात साबित हुई है।

17 महीने तक की स्टडी
साइंटिस्ट एलिसन विल्सन ने कहा कि उन्होंने 17 महीने तक एक शव की गतिविधियों का बहुत करीब से निरीक्षण किया। इससे पता चला कि मौत के बाद भी शव में मूवमेंट होता रहता है। उन्होंने कहा कि केस स्टडी के दौरान शव के हाथों में मूवमेंट होना पाया गया। जब तक शव पूरी तरह ममी में नहीं बदल जाता, उसमें मूवमेंट की प्रॉसेस जारी रहती है। यह मूवमेंट हाथ और पैरों में होता है। 

हर महीने 70 शवों की स्टडी की
एलिसन विल्सन ने हर महीने 70 शवों की स्टडी की। इसके लिए वह कैरेन्स शहर से सिडनी तक 3 घंटे की हवाई यात्रा करती थीं। ऑस्ट्रेलिया के इस सबसे बड़े शहर के बाहर बहुत बड़ा बॉडी फार्म बनाया गया है, जहां मेडिकल स्टूडेंट्स और डॉक्टर शवों का अधय्यन करते हैं। इस फार्म को ऑस्ट्रेलियन फैसिलिटी फॉर टैफोनॉमिक एक्सपेरिमेंटल रिसर्च Australian Facility for Taphonomic Experimental Research (AFTER) के नाम से जाना जाता है, जहां शवों के पोस्टमॉर्टम मूवमेंट से संबंधित रिसर्च होता है। यह दुनिया का इस तरह का सबसे बड़ा रिसर्च सेंटर है। 

किस तकनीक का किया इस्तेमाल
विल्सन और उनके सहयोगी साइंटिस्ट्स ने शवों के मूवमेंट की स्टडी के लिए टाइम लैप्स कैमरा का यूज किया, जिससे किसी की मृत्यु के समय और उसके बाद उसके शरीर के मूवमेंट का सटीक आकलन  कर पाना संभव होता है। एलिसन विल्सन की यह स्टडी 'फोरेंसिक साइंस इंटरनेशनल : सिनर्जी' में पब्लिश हुई है।

इस स्टडी से क्या हो सकता है फायदा
विल्सन का कहना है कि इस स्टडी से उन खोए हुए लोगों का पता लगाने में मदद मिल सकती है कि जिनके बारे में यह आशंका होती है कि वे कहीं मर न गए हों और उनक शव किसी अस्पताल के शवगृह में न रखा हुआ हो। इसके साथ ही पोस्टमॉर्टम मूवमेंट की स्टडी से किसी क्राइम के दौरान हुई मौत की सही वजह को समझना आसान होगा। इससे किसी क्राइम सीन को रिक्रिएट भी किया जा सकता है।  

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