दुनिया में एक से बढ़ कर एक विचित्र चीजें हैं, जिनके बारे में जानकर लोग हैरान रह जाते हैं। आपको जान कर हैरत होगी कि दुनिया के कुछ हिस्सों में पानी बरसाने वाले और रोने-गाने वाले पेड़ भी होते हैं।
नई दिल्ली। दुनिया विचित्र चीजों से भरी हुई है। एक से बढ़ कर एक ऐसी चीजें हैं, जिनके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता, पर जब सच्चाई का पत्ता चलता है तो आदमी हैरान रह जाता है और यही सोचता है कि ऊपर वाले ने भी क्या एक से एक चीज बनाई है। प्रकृति में न जाने कैसी-कैसी चीजें भरी पड़ी हैं, जिनमें ज्यादातर के बारे में हमें अभी भी नहीं पता। अब जल बरसाने वाले और रोने-गाने वाले पेड़ों के बारे में जान कर तो कोई भी हैरान हुए बिना नहीं रह सकता।
जल बरसाने वाला पेड़
इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में एक ऐसा पेड़ पाया जाता है जो जल बरसाता है। दोपहर के समय जब सूर्य की किरणें काफी तेज चमकती हैं, तब यह पेड़ हवा से भाप ग्रहण करता है। कुछ देर बाद यह भाप एकत्र होकर बादल का रूप ले लेता है। फिर पेड़ से शुरू हो जाती है बारिश और पेड़ के नीचे घड़ा रख दें तो थोड़ी देर में वह भर जाता है।
रोने वाला पेड़
वेस्ट इंडीज के सुडान इलाके में एक विचित्र पेड़ पाया जाता है। इसे 'मोर्निगट्री' अर्थात् रोने वाला पेड़ कहते हैं। इस पेड़ से दिन में सुरीली आवाज निकलती है, पर शाम होते ही सुरीली आवाज की जगह रोने की आवाज आने लगती है। इस सुरीली आवाज और रोने जैसी आवाज का कारण वनस्पति शास्त्री यह बताते हैं कि सूर्य के प्रकाश में पौधे की कोशिकाओं में स्टार्च बनता है और सूर्यास्त के बाद यही स्टार्च घुलनशील शक्कर में बदल जाता है। इसी वजह से आवाज में बदलाव होता है।
दैत्य वृक्ष
संसार में ऐसे अनेक वृक्ष पाये जाते हैं जिनको 'दैत्य वृक्ष' कहा जाता है। 'एमोर फोफैलस टिटेनम' नाम के एक पौधे का फूल लगभग 6 फीट लंबा होता है। इसी प्रकार 'विक्टोरिया रेगिया' नामक पौधा जो पानी में होता है, उसकी पत्ती भी लगभग 6 फीट की होती है। बहुत विशाल ऑस्ट्रेलियन गम वृक्ष की बराबरी दूसरा कोई वृक्ष शायद ही कर सके। ये वृक्ष करीब 470 फीट ऊंचे होते हैं। मोनाको के एक्सोइन बगीचे में संसार का सबसे आश्चर्यजनक 'केक्टाई पौधा-संग्रह' है जिनमें कुछ केक्टाई पंद्रह फीट तक ऊंची हैं। दूर से वे किसी राक्षस से कम डरावनी नहीं लगती। अफ्रीका के जंगलों में भी ऐसे कई विशाल वृक्ष मिलते है। संसार में लगभग 2,35000 प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं। इनमें से कई पेड़ों की अपनी-अपनी विचित्रताएं होती हैं।