कई ऐसी स्थितियां होती हैं, जब लोग सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग करते हैं। गंभीर बीमारियों से पीड़ित होने के कारण अक्सर लोग ऐसी मांग करते हैं। लेकिन ऐसा करने वालों की संख्या काफी कम होती है और उन्हें इसकी इजाजत भी नहीं मिलती।
हटके डेस्क। कई ऐसी स्थितियां होती हैं, जब लोग सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग करते हैं। गंभीर बीमारियों से पीड़ित होने के कारण अक्सर लोग ऐसी मांग करते हैं। लेकिन ऐसा करने वालों की संख्या काफी कम होती है और उन्हें इसकी इजाजत भी नहीं मिलती। फिलहाल, यह खबर आई कि यूरोप के नीदरलैंड में 10 हजार से भी ज्यादा लोगों ने सरकार से इच्छ मृत्यु की मांग की है। यह संख्या नीदरलैंड की आबादी का 0.18 फीसदी है। इन लोगों की औसत उम्र करीब 55 साल है। इससे वहां की सरकार काफी चिंतित है।
क्या है वजह
पिछले शुक्रवार को नीदरलैंड के स्वास्थ्य मंत्री ह्यूगो डि जोंग ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए संसद को इसके बारे में बताया। उनका कहना था कि इच्छा मृत्यु की मांग करने वाले ज्यादातर लोग ऐसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं जो लाइलाज हैं। इन बीमारियों की वजह से उनकी परेशानी बहुत बढ़ गई है और वे अब जीना नहीं चाहते हैं।
किसने तैयार की रिपोर्ट
बता दें कि इच्छा मृत्यु मांगने वाले लोगों से जुड़ी रिपोर्ट नीदरलैंड के वैन विजगार्डन कमीशन ने तैयार की है। स्वास्थ्य मंत्री ने इसे एक गंभीर मुद्दा बताया है। उनका कहना है कि सरकार को इस बात के लिए खास कोशिश करनी होगी कि लोगों के मन से निराशा की भावना दूर हो सके और उनमें बीमारियों से लड़ने की इच्छाशक्ति पैदा हो। उनका कहना है कि इसके लिए लोगों को प्रेरित करना होगा और उनमें जीवन के प्रति सकारात्मक विचार पैदा करने होंगे।
प्रतिबंधित है इच्छा मृत्यु
बता दें कि नीदरलैंड उन देशों में शामिल है, जिन्होंने इच्छा मृत्यु पर प्रतिबंध लगाया था। नीदरलैंड ऐसा करने वाला पहला देश है। साल 2001 में वहां के काफी लोगों ने इच्छा मृत्यु की मांग की थी। तब सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब वहां डी 66 पार्टी की विपक्षी सांसद पिया डिज्क्स्ट्रा ने कहा है कि वे 75 साल से अधिक उम्र के लोगों की इच्छा मृत्यु की मांग को स्वीकार करने के लिए संसद में एक विधेयक प्रस्तुत करेंगी। उनका कहना है कि जिन लोगों की उम्र काफी ज्यादा हो चुकी है और जो लाइलाज बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें अपने जीवन का अंत करने का अधिकार मिलना चाहिए।