यहां रेत में अपने आप खिसकते हैं पत्थर

आज वैज्ञानिकों ने धरती ही नहीं, अंतरिक्ष में भी जाकर कई अनसुलझे रहस्यों का पता लगा लिया है, बावजूद कई ऐसी रहस्यमय घटनाएं होती हैं, जिनका जवाब विज्ञान के पास नहीं है। ऐसा ही एक रहस्य जुड़ा है इस जगह से जिसे मौत की घाटी कहते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Sep 4, 2019 4:04 AM IST / Updated: Sep 04 2019, 03:22 PM IST

कैलिफोर्निया। यहां की डेथ वैली वैज्ञानिकों के लिए हमेशा से खोज का विषय रही है। इसकी वजह है यहां की भू-संरचना और तापमान। बता दें कि यहां का टेम्परेचर दुनिया में सबसे ज्यादा मापा गया है। लेकिन इससे भी ज्यादा हैरत में डालने वाली चीज है यहां के अपने आप खिसकने वाले पत्थर, जिन्हें सेलिंग स्टोन्स के नाम से जाना जाता है। यहां के रेस ट्रैक क्षेत्र में मौजूद 320 किलोग्राम तक के पत्थर भी अपने आप खिसक कर एक जगह से दूसरी जगह चले जाते हैं।

किसी ने नहीं देखा पत्थरों को खिसकते
यहां ऐसे 150 से भी अधिक पत्थर हैं, जो खुद-ब-खुद खिसकते हैं, लेकिन कहते हैं कि किसी ने भी पत्थरों को खिसकते हुए नहीं देखा है। सर्दियों के मौसम में ये पत्थर लगभग 250 मीटर से ज्यादा दूरी तक खिसक कर चले जाते हैं। 

बनी थी वैज्ञानिकों की टीम
जानकारी के मुताबिक, साल 1972 में इस रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई गई थी। टीम ने इन खिसकने वाले पत्थरों पर सात साल अध्ययन किया। उन्होंने पत्थरों का नामकरण भी किया। वैज्ञानिकों ने पाया कि केरीन नाम का लगभग 317 किलोग्राम का पत्थर उस दौरान जरा भी नहीं हिला, लेकिन जब वैज्ञानिक कुछ साल बाद वहां वापस लौटे, तो उन्होंने उस पत्थर को एक किलोमीटर दूर पाया।

तेज हवाओं से खिसक सकते हैं पत्थर
कुछ वैज्ञानिकों का यह मानना है कि तेज रफ्तार से चलने वाली हवाओं के कारण पत्थर एक जगह से दूसरी जगह चले जा सकते हैं। रिसर्च स्टडी के अनुसार, इस रेगिस्तान में 90 मील प्रति घंटे की गति से तेज हवा चलती है। रात में यहां बर्फ जम जाती है और जमीन की सतह के ऊपर गीली मिट्टी की पतली परत भी जमती है। इसके चलते भी पत्थर खिसक सकते हैं।  

नहीं सुलझा है रहस्य
अलग-अलग वैज्ञानिकों की टीमों ने भले ही अलग-अलग तरीके से शोध किए हों, लेकिन अभी तक यह जाहिर नहीं हो पाया है कि पत्थरों के खिसकने की वजह क्या है। वैज्ञानिकों ने भी सिर्फ अनुमान व्यक्त किए हैं। लोग अब तक यह नहीं समझ सके हैं कि आखिर क्यों पत्थर अपने आप अपनी जगह से खिसक कर दूसरी जगह चले जाते हैं।

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