
हटके डेस्क। कहते हैं कि प्रकृति में हर तरफ संगीत बिखरा है, लेकिन हर कोई इसे सुन नहीं पाता। नदियों, झरनों, पेड़-पौधों का संगीत तो कवि और कलाकार महसूस करते हैं, लेकिन धरती से निकलने वाली संगीत की ध्वनियों को पहली बार वैज्ञानिकों ने रिकॉर्ड किया है। धरती के संगीत को रिकॉर्ड किया यूरोपिन स्पेस एजेंसी (ESA) के वैज्ञानिकों ने। खास बात है कि इसके लिए वैज्ञानिक पिछले कई सालों से कोशिश कर रहे थे, लेकिन वे महज 13 सेकंड तक ही धरती से निकलने वाली संगीतमय ध्वनियों को रिकॉर्ड कर पाने में कामयाब हो सके।
क्लस्टर नाम का सैटेलाइट छोड़ा था
यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने 2001 में क्लस्टर नाम का एक सैटेलाइट छोड़ा था। इसका मकसद धरती पर आने वाली सूरज की किरणों के प्रभाव का अध्ययन करना था। इस सैटेलाइट को 2001 से 2005 के बीच करीब 6 बार सौर तूफानों का सामना करना पड़ा। जब यह सैटेलाइट सौर किरणों का पीछा करते हुए धरती की ओर आने लगा तो उसने धरती से निकलने वाली अजीबोगरीब किस्म की साउंड वेब को रिकॉर्ड किया।
20 साल के डाटा का किया विश्लेषण
फिनलैंड की हेलसिंकी यूनिवर्सिटी में इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही रिसर्च फेलो लूसिल टर्क ने कहा कि धरती के इस संगीत को रिकॉर्ड करने के लिए उन लोगों ने सैटेलाइट से मिले 20 साल के डाटा का विश्लेषण किया, इसके बावजूद सिर्फ 20 सेकंड तक ही ध्वनि तरंगों को रिकॉर्ड कर पाए। उन्होंने बताया कि सौर मंडल में बड़े-बड़े तूफान आते रहते हैं। उनकी किरणें जब धरती के चुबंकीय क्षेत्र में आती हैं तो कई तरह की प्रतिक्रिया होती है।
कैसे की रिकॉर्डिंग
लूसिल टर्क और उनकी टीम ने बताया कि सैटेलाइट क्लस्टर से जो डाटा उन्होंने हासिल किया था, वह साइंस आर्काइव्ज में सेव कर लिया गया था। ये सौर तूफानों की किरणों और धरती की चुबंकीय तरंगों से टकराहट से पैदा होने वाली लहरें थीं, जिन्हें ध्वनि में बदल कर सुनने लायक बनाया गया। लूसिल और उनकी टीम का कहना था कि यह संगीतमय ध्वनि वाकई रोमांचित करने वाली थी। काफी प्रयास करने के बाद बहुत ही कम देर के लिए रिकॉर्डिंग हो सकी, यानी ध्वनि तरंगों को इस रूप में बदला गया कि उन्हें सुना जा सके। टीम का कहना था कि इन ध्वनियों को ज्यादा समय के लिए रिकॉर्ड करने की कोशिश जारी रखी जाएगी। इससे अंतरिक्ष और पृथ्वी से जुड़े कई रहस्यों का पता लगाया जा सकेगा।