आसानोल में माेदी-अहंकार में दीदी इतनी बड़ी हो गई हैं कि हर कोई उन्हें अपने आगे छोटा दिखता है
पश्चिम बंगाल में 5वें चरण के लिए शनिवार को वोटिंग के बाद तीन और चरण बचेंगे। प्रधानमंत्री इनमें भाजपा का प्रचार करने शनिवार को बंगाल पहुंचे। उनकी पहली सभा आसानोल में जबकि दूसरी गंगारामपुर में रखी गई। कोरोना के मद्देनजर सभास्थल पर कोरोना गाइडलाइन का पूरा ध्यान रखा गया। बंगाल में मुख्य मुकाबला तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच है। ममता बनर्जी यहां पिछले 10 साल से सत्ता में काबिज हैं। इससे पहले 34 साल तक वामपंथियों ने सरकार चलाई।
Asianet News Hindi | Published : Apr 17, 2021 6:55 AM IST / Updated: Apr 17 2021, 12:54 PM IST
कोलकाता, पश्चिम बंगाल. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को यहां दो चुनावी सभा करने पहुंचे। उनकी पहली सभा आसानोल में जबकि दूसरी गंगारामपुर में रखी गई। आसानोल में बोलते हुए मोदी ने ममता बनर्जी को अहंकारी बताया। उन्होंने कोरोना और अन्य महत्वपूर्ण बैठकों में उनके शामिल नहीं होने पर सवाल उठाए। मोदी ने कूचबिहार मामले में 5 लोगों की मौत के बाद वायरल हुए ऑडियो टेप पर भी ममता को घेरा। मोदी की सभा के दौरान कोरोना के मद्देनजर सभास्थल पर कोरोना गाइडलाइन का पूरा ध्यान रखा गया।
आसानोल में बोले मोदी
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2018 के पंचायत चुनाव, पश्चिम बंगाल कभी नहीं भूल सकता। बर्धमान से लेकर, बांकुरा, बीरभूम, मुर्शीदाबाद के लोगों को आज भी याद है कैसे उनके अधिकारों को छीना गया।
कूचबिहार में जो हुआ, उस पर कल एक ऑडियो टेप आपने सुना होगा। 5 लोगों की दुखद मृत्यु के बाद दीदी किस तरह राजनीति कर रही हैं, ये इस ऑडियो से सामने आता है। इस ऑडियो में कूचबिहार के टीएमसी नेता को कहा जा रहा है कि मारे गए लोगों के शवों के साथ रैली करो। दीदी, वोटबैंक के लिए कहां तक जाएंगी आप? सच्चाई ये है कि दीदी ने कूचबिहार में मारे गए लोगों की मृत्यु से भी अपना सियासी फायदा करने की सोची। शवों पर राजनीति करने की दीदी को बहुत पुरानी आदत है।
कोरोना पर पिछली दो बैठकों में बाकी मुख्यमंत्री आए, लेकिन दीदी नहीं आईं। नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल में बाकी मुख्यमंत्री आए, लेकिन दीदी नहीं आईं। मां गंगा की सफाई के लिए देश में इतना बड़ा अभियान शुरु हुआ लेकिन दीदी उससे संबंधित बैठक में भी नहीं आईं। अपने अहंकार में दीदी इतनी बड़ी हो गई हैं कि हर कोई उन्हें अपने आगे छोटा दिखता है।
दीदी की आंखों पर अहंकार का पर्दा चढ़ा हुआ है। दीदी की राजनीति सिर्फ विरोध और गतिरोध तक सीमित नहीं है बल्कि दीदी की राजनीति प्रतिशोध की खतरनाक सीमा को भी पार कर गई है। बीते 10 साल में बीजेपी के अनेक कार्यकर्ताओं की हत्या की गई है।
दीदी, ओ दीदी, आप जितनी चाहे साजिशें कर लीजिए, जितनी चाहे कोशिशें कर लीजिए। इस बार आपकी साजिश बंगाल के लोग खुद ही नाकाम कर रहे हैं। इस बार बंगाल के लोगों ने ही आपके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
केंद्र सरकार ने अनेक बार अनेक विषयों पर बात करने के लिए बैठकें बुलाई हैं, लेकिन दीदी कोई न कोई कारण बताकर इन बैठकों में नहीं आतीं।
चार दौर का मतदान, टीएमसी खंड-खंड हो गई। बाकी चार दौर का मतदान, दीदी-भाइपो का पत्ता साफ। पांचवें चरण के मतदान में भी कमल के फूल पर बटन दबाकर, भाजपा की सरकार बनाने के लिए भारी संख्या में मतदान हो रहा है। ('भाइपो' बांग्ला शब्द हैं। हिंदी में इसका अर्थ भतीजा है)
बंगाल में जो सरकारें रहीं, उनके कुशासन ने आसनसोल को कहां से कहां पहुंचा दिया। जहां लोग चाकरी के लिए आते थे, आज यहां से लोग पलायन हो रहे हैं।
मां-माटी-मानुष की बात करने वाली दीदी ने यहां हर तरफ माफिया राज पहुंचा दिया है। केंद्र सरकार ने किसानों को बिचौलियों से मुक्त करने वाले कानून बनाए, तो दीदी विरोध में उतर आईं।
केंद्र सरकार ने किसानों के बैंक खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर करने शुरू किए, तो दीदी ने इससे भी किसानों को वंचित रखा। बंगाल को विकास रोकने वाली नहीं, डबल इंजन की सरकार चाहिए।
बंगाल की बीजेपी सरकार, आपका लाभ कराने वाली हर उस योजना को लागू करेगी, जिन्हें दीदी की सरकार ने रोका हुआ है।
जो विकास पर विरोध को, विश्वास पर प्रतिशोध को, सुशासन पर राजनीति को, प्राथमिकता देती है, ऐसी सरकार पश्चिम बंगाल का भला नहीं कर सकती। इसलिए बंगाल को आशोल पॉरिबोरतोन चाहिए।
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बता दें कि यहां पहले फेज में 27 मार्च को 30 सीट, 1 अप्रैल को दूसरे फेज में 30 सीट, तीसरे फेज में 6 अप्रैल को 31 सीटों और 10 अप्रैल को चौथे चरण में 44 सीटों पर वोटिंग हुई। 17 अप्रैल के पांचवें चरण में 45 सीट के बाद 22 अप्रैल को छठवें चरण में 43 सीटों, सातवें चरण में 26 अप्रैल को 36 सीटों और 29 अप्रैल को आठवें चरण में 35 सीटों पर वोटिंग होगी। रिजल्ट 2 मई को आएगा। बंगाल में मुख्य मुकाबला तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच है। ममता बनर्जी यहां पिछले 10 साल से सत्ता में काबिज हैं। इससे पहले 34 साल तक वामपंथियों ने सरकार चलाई।