भारत के बाद अब चीन ने इस देश में की घुसपैठ, भेजे 19 फाइटर जेट्स; अमेरिका को भी दी धमकी

बीजिंग. चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अपनी विस्तारवादी नीति को बढ़ाते हुए अब चीन ने ताइवान में घुसपैठ की कोशिश की। चीन ने 19 फाइटर जेट्स शुक्रवार को ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसे। ये प्लेन कुछ मिनट तक उड़ान भी भरते रहे। इस घुसपैठ के बाद चीन ने कहा, यह हमारी तरफ से चीन और ताइवान को चेतावनी थी। खास बात ये थी कि जब ताइवान में चीनी विमान घुसे थे, तब अमेरिका के अंडर सेक्रेटरी कीथ क्रेच वहां मौजूद थे।  

Asianet News Hindi | Published : Sep 19, 2020 9:14 AM IST

बीजिंग. चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अपनी विस्तारवादी नीति को बढ़ाते हुए अब चीन ने ताइवान में घुसपैठ की कोशिश की। चीन ने 19 फाइटर जेट्स शुक्रवार को ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसे। ये प्लेन कुछ मिनट तक उड़ान भी भरते रहे। इस घुसपैठ के बाद चीन ने कहा, यह हमारी तरफ से चीन और ताइवान को चेतावनी थी। खास बात ये थी कि जब ताइवान में चीनी विमान घुसे थे, तब अमेरिका के अंडर सेक्रेटरी कीथ क्रेच वहां मौजूद थे।  

चीन के फाइटर जैट्स के लौटने के बाद चीन के रक्षा मंत्रालय के एक अफसर कर्नल रेन गुओकियांग ने कहा, जो लोग आग से खेलने की कोशिश कर रहे हैं। वे जल जाएंगे। वहीं, चीनी थिंक टैंक ने इसे ताइवान और अमेरिका के लिए चेतावनी बताया। 

अमेरिका ने नहीं दिया जवाब
चीन की इस हरकत का अमेरिका की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति इस मुद्दे पर ताइवान की मदद की पेशकश कर चुके हैं। दोनों देशों के बीच डिफेंस डील भी होने वाली है। उन्होंने पिछले दो महीने में दूसरी बार मंत्री स्तर के अफसर को ताइवान भेजा है। हालांकि, 1979 के बाद से अमेरिका का कोई बड़ा अफसर ताइवान नहीं जाता था। 

कार्रवाई के डर से भागे चीनी विमान
उधर, चीनी फाइटर जैट्स द्वारा सीमा उल्लंघन करने पर ताइवान ने भी कार्रवाई के लिए तैयारी कर ली थी। ताइवान ने एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को एक्टिव कर लिया था। हालांकि, चीनी विमान खतरे को भांपते हुए पहले ही वापस अपनी सीमा में लौट आए। इससे पहले बुधवार को भी दो फाइटर जेट्स ताइवान की सीमा में घुसे थे।  हालांकि, दोनों विमान ताइवान की चेतावनी के बाद लौट आए थे। 

क्या है चीन-ताइवान विवाद? 
ताइवान आधिकारिक तौर पर रिपब्लिक ऑफ चाइना नाम से जाना जाता है। यह चीन के दक्षिणी तट में स्थित एक द्वीप है। ताइवान 1949 से स्वतंत्र रूप से शासित है। वहीं, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना इसे एक प्रांत मानती है। जबकि ताइवान में लोकतांत्रिक रूप से सरकार चुनी जाती है। इस क्षेत्र की आबादी 2.3 करोड़ है। 

ताइवान और चीन के बीच स्थिति को लेकर काफी असहमति है। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का दावा है कि वह एक चीन सिद्धांत को मानता है और ताइवान उसका हिस्सा है। चीन का कहना है कि ताइवान 1992 में हुए समझौते से बंधा है। यह समझौता चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और ताइवान की तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी कुओमिनतांग के बीच हुआ था।

ताइवान ने खारिज किया वन चाइना, टू सिस्टम
1992 की आम सहमति के आधार पर समझौता यह है कि ताइवान स्वतंत्रता नहीं मानेगा। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने इस समझौते को सिरे से खारिज कर दिया।

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