
काबुल. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में सोमवार को आतंकियों ने बड़ा हमला किया है। देश की सबसे पुरानी काबुल यूनिवर्सिटी में लगे बुक फेयर में घुसे 3 बंदूकधारि आतंकवादियों ने निहत्थे छात्रों पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हमले में अब तक 25 छात्रों की मौत हो गई है तो वहीं 40 घायल हैं। हमले के बाद अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय प्रवक्ता ने बताया कि जवाबी कार्यवाही में सुरक्षाबलों ने तीनों हमलावरों को मार गिराया है।
किसी आतंकी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, यूनिवर्सिटी के उत्तरी गेट पर धमाका होने के बाद गोलीबारी शुरू हुई। न्यूज चैनलों पर चल रही फुटेज में कई छात्र यूनिवर्सिटी परिसर के अंदर बचने के लिए भागते हुए दिख रहे हैं। सुरक्षा बल अंदर फंसे छात्रों को निकाल रहे हैं। अब तक किसी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। तालिबान का कहना है कि इस हमले में उसके सदस्य शामिल नहीं हैं।
अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने प्रकट की संवेदना
घटना के बाद हाई काउंसिल फॉर नेशनल रिकॉन्सिलेशन के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि मैं काबुल में किए गए कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करता हूं। शिक्षण संस्थानों को निशाना बनाना जघन्य अपराध है। छात्रों को शांति से पढ़ाई करने का अधिकार है। पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति मेरी गंभीर संवेदना है।
देश की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी है काबुल यूनिवर्सिटी
आपको बता दें कि अफगानिस्तान स्थित काबुल यूनिवर्सिटी की स्थापना सन 1932 में हुई थी। यह अफगानिस्तान की सबसे पुरानी, बड़ी और प्रतिष्ठित पब्लिक यूनिवर्सिटी है। इसमें 21 फैकल्टीज, 89 से ज्यादा डिपार्टमेंट, 896 एकेडमिक फैकल्टीज मेंबर और 17197 स्टूडेंट्स हैं।
काबुल में बीते 10 दिनों में दूसरा बड़ा आतंकी हमला
इस हमले से पहले काबुल में करीब 10 दिन पहले 24 अक्टूबर को एक धमाके में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई थी और आठ अन्य लोग जख्मी हुए थे। इस हमले में जिनकी मौत हुई उनमें स्कूल के बच्चे भी शामिल हैं। देश के इंटीरियर मंत्रालय ने यह जानकारी दी। धमाका काबुल के एजुकेशनल सेंटर के बाहर हुआ। इस हमले के बाद भी किसी आतंकी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली थी।
तालिबन और अफगान सेनाओं के बीच हिंसा में बढ़ोतरी
देश में तालिबन और अफगान सेनाओं के बीच हिंसा में बढ़ोतरी हुई है। यह दोनों ओर से प्रतिनिधियों के बीच दोहा में शांति वार्ता को लेकर बातचीत शुरू करने के बावजूद हुआ है। इस बातचीत का मकसद अफगानिस्तान में दशकों लंबी लड़ाई को खत्म करना है।
अमेरिका के साथ हो चुका है तालिबान का समझौता
अमेरिका ने फरवरी में तालिबान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया था जिससे संघर्ष से अमेरिकी सेना की टुकड़ियों को वापस लेकर आगे रास्ता खोलने की बात थी। इससे पहले 18 अक्टूबर को भी पूर्वी अफगानिस्तान में सड़क के किनारे हुए एक धमाके में नौ लोगों की मौत हो गई थी। लोकल अधिकारियों ने बताया था कि धमाके ने नागरिकों से भरी मिनीवैन को नुकसान पहुंचाया था।
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