अफगानिस्तान से वापस बुलाए गए 50 इंडियन डिप्लोमेट्स और कर्मचारी, यहां तालिबान का खतरा बढ़ा

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि दूतावास को बंद नहीं किया गया है। कंधार में तालिबान और अफगानिस्तान की आर्मी में चल रही लड़ाई को देखते हुए स्टाफ को कुछ दिनों के लिए बुला लिया गया है। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 11, 2021 1:05 PM IST / Updated: Jul 11 2021, 09:04 PM IST

वर्ल्ड डेस्क. तालिबान का वर्चस्व अफगानिस्तान में बढ़ता जा रहा है। जिस कारण अमेरिका, रूस और भारत सहित कई देशों के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। सूत्रों के अनुसार, भारत के 50 डिप्लोमेट्स और कर्मचारियों ने कंधार का दूतावास खाली कर दिया है। हालांकि, आपातकालीन सेवाएं चालू हैं।

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि दूतावास को बंद नहीं किया गया है। कंधार में तालिबान और अफगानिस्तान की आर्मी में चल रही लड़ाई को देखते हुए स्टाफ को कुछ दिनों के लिए बुला लिया गया है। बताया जा रहा है कि दूतावास के स्टाफ को एयरफोर्स के विमान से भारत लाया गया, लेकिन वहां जाने और वापस आने के लिए पाकिस्तान के रूट का इस्तेमाल नहीं किया गया।

तालिबान के प्रवक्ता सुशील शाहीन ने चीनी मीडिया साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को दिए इंटरव्यू में दावा किया है कि अफगानिस्तान के 85% हिस्से पर तालिबान कब्जा कर चुका है। भारत सरकार की तरफ से कई बार कहा जा चुका है कि कंधार और मजार-ए-शरीफ के दूतावास को बंद नहीं किया जाएगा।

रूस से चीन तक आतंक बढ़ने का खतरा
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे का दायरा बढ़ने के साथ ही रूस और चीन सतर्क हो गए हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि तालिबान मध्य एशियाई देशों की सीमाओं का सम्मान करे। ये देश कभी सोवियत संघ का हिस्सा थे। पिछले हफ्ते चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि अफगानिस्तान में सबसे बड़ी चुनौती युद्ध और अराजकता को रोकने की होगी। 

भारत की नीति अब तक क्या रही है?
तलिबान को भारत ने आधिकारिक मान्यता नहीं दी। उसने जब बातचीत की पेशकश की तो उसे भी स्वीकार नहीं किया गया। भारत सरकार ने कभी तालिबान को पक्ष माना ही नहीं। विदेश मंत्रालय ने पिछले दिनों कहा था- हमने हमेशा अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने की कोशिश की है। 

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