मालदीव: विदेशी कामगारों के घरों में लगी आग, 10 की मौत, जिंदा जल गए 9 भारतीय नागरिक

मालदीव की राजधानी माले के एक घर में आग लगने से 10 लोगों की मौत हो गई। जिस मकान में आग लगी, उसमें विदेशी कामगार रहते थे। मरने वालों में 9 भारतीय नागरिक और एक बांग्लादेशी नागरिक हैं।

Asianet News Hindi | Published : Nov 10, 2022 7:39 AM IST / Updated: Nov 10 2022, 01:13 PM IST

माले। मालदीव की राजधानी माले में गुरुवार को विदेशी कामगारों के घरों में आग लगने से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे में कई लोग घायल हो गए। मरने वालों में 9 भारतीय नागरिक हैं। वे जिंदा चल गए। आग इतनी तेज थी कि उन्हें जान बचाकर भागने का मौका नहीं मिल पाया।

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मालदीव सरकार के अधिकारियों के अनुसार 10 शव बरामद किए गए हैं। आग जिस बिल्डिंग में लगी उसके ग्राउंड फ्लोर में गैरज चलाया जा रहा था। यहां गाड़ियों की मरम्मत होती थी। बिल्डिंग में उपरी फ्लोर्स पर लोग रहते थे। एक अग्निशमन अधिकारी ने कहा कि आग पर काबू पाने में करीब चार घंटे लग गए थे। एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि मृतकों में 9 भारतीय नागरिक और एक बांग्लादेशी नागरिक हैं।

हाई कमीशन ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर
मालदीव में भारतीय हाई कमीशन ने हादसे में जान गंवाने वालों के लिए शोक व्यक्त किया है। हाई कमीशन ने ट्वीट किया कि हम माले में हुई घटना से दुखी हैं। इसमें भारतीय नागरिकों सहित कई लोगों की जान गई है। हम मालदीव के अधिकारियों के साथ निकट संपर्क में हैं। हाई कमीशन ने इस संबंध में किसी भी जानकारी या मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। +9607361452 और +9607790701 नंबर पर कॉल कर हाई कमीशन की मदद ली जा सकती है।

मालदीव की आबादी का आधा हिस्सा हैं बाहरी कामगार
गौरतलब है कि मालदीव पर्यटन के लिए प्रसिद्ध हैं। दुनियाभर से पर्यटक यहां के समुद्री तटों का आनंद लेने आते हैं। माले को अपमार्केट हॉलिडे डेस्टिनेशन के रूप में जाना जाता है। इसके साथ ही यह दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले शहरों में से एक है। माले की आबादी (250,000) का आधा हिस्सा बाहरी कामगार हैं। इनमें से अधिकतर बांग्लादेश, भारत, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका से आए हैं।

मालदीव में विदेशी कामगारों के रहने की स्थिति ठीक नहीं है। कोरोना महामारी के दौरान मालदीव में रहने वाले विदेशी कामगारों के रहने की खराब स्थिति प्रकाश में आई थी। संक्रमण स्थानीय लोगों की तुलना में विदेशी श्रमिकों में तीन गुना तेजी से फैला था। 

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