जर्मनी में 30,000 से ज्यादा लोग सड़क पर उतरे, 10 तस्वीरों में देखें गीसन की सड़कों पर क्यों हुआ बवाल

Published : Nov 29, 2025, 02:17 PM IST

जर्मनी के गीसन में AfD युवा विंग सम्मेलन से पहले बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन तस्वीरें वायरल हो रही। पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़पों ने शहर में तनाव बढ़ा दिया। कई इलाकों में यातायात ठप हो गया और सुरक्षाबलों की भारी तैनाती करनी पड़ी। 

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AfD की नई यूथ विंग की कॉन्फ्रेंस से पहले गीसेन में हज़ारों लोगों ने प्रोटेस्ट किया, जिससे शहर में टेंशन बढ़ गया। प्रोटेस्टर्स और पुलिस के बीच झड़प हुई, जिसमें कई लोग घायल हो गए और बड़े पैमाने पर ट्रैफिक में रुकावट आई।

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मेन ट्रेन स्टेशन के पास हो रही कॉन्फ्रेंस में जाने से रोकने के लिए प्रोटेस्टर्स ने सड़कें ब्लॉक कर दीं। पुलिस ने रास्ता खाली कराने के लिए बल प्रयोग किया, जिससे झड़पें हुईं और मामूली चोटें आईं।

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लोकल अधिकारियों का अनुमान है कि प्रोटेस्ट में 20,000 से 30,000 लोग शामिल हो सकते हैं। भीड़ से शहर के सेंट्रल इलाकों में भारी ट्रैफिक जाम लगने, बस रूट बदलने और ट्रेन सर्विस में देरी होने की उम्मीद थी।

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प्रोटेस्टर्स का आरोप है कि AfD अपनी पॉलिसी और यूथ विंग के ज़रिए देश में कट्टर दक्षिणपंथ को बढ़ावा दे रही है। उनका कहना है कि यह कदम जर्मनी में डेमोक्रेटिक वैल्यूज़ के खिलाफ है।

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पुलिस ने शुरू में शांति की अपील की, लेकिन जब भीड़ हिंसक हो गई, तो उन्होंने बैरिकेड्स लगा दिए और बल प्रयोग किया। अधिकारियों के मुताबिक, कई प्रोटेस्ट ग्रुप जानबूझकर टकराव भड़का रहे थे।

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AfD की नई यूथ विंग को यूथ लेवल पर पार्टी के ऑर्गनाइज़ेशन को मज़बूत करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। क्रिटिक्स का कहना है कि इससे राइट-विंग आइडियोलॉजी का असर और बढ़ सकता है।

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प्रोटेस्ट करने वालों के सड़क ब्लॉक करने की वजह से कई AfD सपोर्टर कॉन्फ्रेंस की जगह तक नहीं पहुंच पाए। पुलिस ने सेफ़ रास्ता बनाने की कोशिश की, लेकिन प्रोटेस्ट की वजह से एक्टिविटीज़ में रुकावट आती रही।

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झड़प में कई प्रोटेस्टर और पुलिस ऑफिसर को मामूली चोटें आईं। मेडिकल टीमों ने मौके पर फर्स्ट एड दिया। सिक्योरिटी की वजह से और पुलिस फोर्स तैनात की गई।

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पॉलिटिकल एनालिस्ट का कहना है कि यह घटना जर्मनी में बढ़ते पॉलिटिकल पोलराइज़ेशन और माइग्रेंट कम्युनिटीज़ के प्रति बढ़ती इनटॉलेरेंस को दिखाती है। माना जा रहा है कि यह घटना लंबे समय से चल रहे सोशल टेंशन का नतीजा है।

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प्रोटेस्ट ऑर्गनाइज़र ने दावा किया कि उनकी रैली शांतिपूर्ण थी, लेकिन एक्सट्रीमिस्ट ग्रुप्स ने हालात को और बिगाड़ दिया। उन्होंने कहा कि AfD की नीतियों का विरोध करना एक लोकतांत्रिक अधिकार है और यह प्रदर्शन उसी का प्रतीक है।

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