
वाशिंगटन। अमेरिकी सरकार 9/11 के हमलों के पीड़ितों को मुआवजा देने और राहत प्रयासों के लिए फ्रिज किए गए 7 अरब डॉलर के अफगान फंड्स का आधा हिस्सा इस्तेमाल करेगी। फ्रिज किया गया बाकी पैसा अफगानियों पर खर्च होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यह फैसला किया है।
पिछले साल तालिबान के सत्ता में आने के बाद वाशिंगटन ने पैसा फ्रिज कर दिया था। अमेरिका पर आतंकवादियों की सहायता के बिना इसका इस्तेमाल करने का तरीका खोजने का दबाव रहा है। तालिबान के एक प्रवक्ता ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे "चोरी" और "नैतिक पतन" का संकेत बताया है।
शुक्रवार को बाइडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक तृतीय-पक्ष 3.5 बिलियन डॉलर का ट्रस्ट फंड स्थापित किया जाएगा। इस पैसे से अफगान लोगों की तत्काल मानवीय जरूरतों को पूरा किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इसका लाभ सीधे तालिबान को नहीं मिले। अधिकारी ने कहा कि हमने इस बारे में कोई विशेष निर्णय नहीं लिया है कि धन का उपयोग कैसे किया जाएगा। धन उपलब्ध होने में महीनों का समय लगेगा। एक न्यायिक निर्णय लंबित है। अधिकारी ने कहा कि बाकी पैसा अमेरिका में रहेगा और आतंकवाद के शिकार अमेरिकी द्वारा चल रहे मुकदमे के अधीन है।
बता दें कि 2010 में 9/11 में मारे गए लोगों के परिवार के लगभग 150 सदस्यों ने हमले को सुविधाजनक बनाने और योजना बनाने में उनकी भूमिका के लिए तालिबान और अल-कायदा सहित कई संगठनों पर मुकदमा दायर किया है। व्हाइट हाउस ने कहा कि कुछ ने धन के खिलाफ दावा किया है। अदालत को यह निर्धारित करने की आवश्यकता होगी कि क्या वे उन तक पहुंच सकते हैं। अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी दावेदारों को अमेरिकी अदालतों में पूरा मौका मिलने वाला है। यह एक प्रक्रिया में एक कदम आगे है और जब तक अदालत फैसला नहीं करती तब तक कोई धन हस्तांतरित नहीं किया जाएगा।
तालिबान ने दी थी चेतावनी
कतर स्थित तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि अफगान केंद्रीय बैंक के फंड की जब्ती चोरी है और मानव और नैतिक पतन के निम्नतम स्तर का प्रतिनिधित्व करती है। दरअसल, तालिबान ने पहले चेतावनी दी थी कि धन वापस करने में विफलता बड़े पैमाने पर प्रवास और आगे आर्थिक पतन सहित समस्याएं पैदा करेगी। तालिबान के अधिग्रहण के बाद से अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि देश 2022 के मध्य तक 97% की "निकट-सार्वभौमिक" गरीबी दर तक पहुंच सकता है।
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