अफगानिस्तान में बेनकाब हुआ पाकिस्तान: काबुल में हजारों महिलाएं-पुरुष सड़क पर उतरे, मुर्दाबाद के लगे नारे

हाल ही पाकिस्तान के केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि पाकिस्तान, तालिबान का 'संरक्षक' रहा है और लंबे वक्त तक उनकी देखभाल की है। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 7, 2021 10:01 AM IST / Updated: Sep 07 2021, 03:39 PM IST

काबुल। पाकिस्तान (Pakistan) का नापाक इरादा अब अफगानिस्तान (Afghanistan) में सामने आ चुका है। हजारों की संख्या में अफगानी सड़क पर आकर काबुल (Kabul) में पाकिस्तान का विरोध कर रहे और नारेबाजी कर रहे हैं। अफगानी महिला और पुरुषों के इस विरोध प्रदर्शन में पाकिस्तान मुर्दाबाद, आजादी और सपोर्ट पंजशीर के नारे लग रहे हैं। इन लोगों का आरोप है कि पाकिस्तान से समर्थित आतंकवाद अफगानिस्तान में लोगों की जिंदगियों को तबाह कर रहा है। 

विरोध-प्रदर्शन करते हुए प्रदर्शनकारी काबुल स्थित पाकिस्तान दूतावास भी पहुंचे जहां पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए हैं। हालांकि, स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए तालिबान ने लोगों पर गोलियां भी चलाई है। 

 

 

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अफगानी पाकिस्तान के समर्थन का कर रहे विरोध

दरअसल, अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban) के कब्जा के बाद  पाकिस्तान की दखलंदाजी यहां कुछ अधिक हो गई है। वहीं, नई सरकार के गठन के पहले ही तालिबान नेता मुल्ला बरादर ने आईएसआई चीफ से मुलाकात की है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ बरादर की मुलाकात के बाद अफगानिस्तान के लोग मुखर विरोध पर सड़क पर आ गए हैं। इन लोगों का कहना है कि पाकिस्तान अफगानियों की जिंदगियों को तबाह कर आतंकवाद की आग में झोक देगा। ये लोग मांग कर रहे हैं कि उनके मुल्क में एक स्वतंत्र सरकार बने न कि पाकिस्तान की बैशाखी पर चलने वाली सरकार बने। 

 

दो दिन पहले ही हुई थी दोनों की मुलाकात

अफगानिस्तान में तालिबान के सरकार गठन के पहले पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद 4 सितंबर को काबुल पहुंचे थे। हमीद ने तालिबान के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत की है और सरकार में हक्कानी नेटवर्क के उचित प्रतिनिधित्व की बात उठाई है। पाकिस्तान पर तालिबान को सपोर्ट करने के आरोप लगते रहे हैं। 

पाकिस्तान हमेशा से रहा है तालिबान का समर्थक

अफगानिस्तान और अमेरिका के साथ सालों से जारी युद्ध में पाकिस्तान एकमात्र ऐसा देश रहा है जो तालिबान का समर्थक है। तालिबान ने लगातार पाकिस्तान को अपना दूसरा घर बताया है। अफगानिस्तान पर कब्जा के लिए युद्ध के दौरान ही कई बार ऐसे सबूत मिले जिससे पाकिस्तान की सेना के कई अधिकारियों के तालिबान के लिए मोर्चा लेते हुए पाया गया। कई पाकिस्तानी सेना अधिकारी इस युद्ध में तालिबान की ओर से युद्ध करते हुए मारे भी गए थे।

वहीं तत्कालीन गनी सरकार ने यह आरोप लगाया था कि अफगानी फोर्स से लड़ने के लिए पाकिस्तान ने तालिबान को हजारों प्रशिक्षित आतंकवादी मुहैया कराया था। उधर, हाल ही पाकिस्तान के केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि पाकिस्तान, तालिबान का 'संरक्षक' रहा है और लंबे वक्त तक उनकी देखभाल की है। 

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