Afghanistan दूतावास के राजनयिकों को वेतन नहीं मिल रहा, आर्थिक तंगी के शिकार कर्ज लेकर चला रहे काम

अमेरिकी बैंकों ने अक्टूबर 2021 से ही अफगानिस्तान के दूतावासों का फंड रोक दिया हुआ है। अमेरिका का मानना है कि खातों को फ्रीज नहीं किया तो तालिबान धन का दुरुपयोग कर सकते हैं। अमेरिकी बैंकों द्वारा खातों को फ्रीज करने के बाद से अफगान राजनयिकों का भुगतान नहीं हो पाया है।

वाशिंगटन। अफगानिस्तान (Afghanistan) में तो आम नागरिकों का भूख-गरीबी से बुरा हाल होते जा रहा है। उधर, दूसरे देशों में रह रहे अफगानिस्तान के दूतावासों (Afghanistan Embassy in other countries) के राजनयिकों की आर्थिक स्थिति बदहाल होती जा रही है। कई कई महीनों से सैलरी नहीं मिलने की वजह से इन राजनयिकों को अपनी बचत से या कर्ज लेकर काम चलाना पड़ रहा है। वॉशिंगटन में अफगानस्तिान के दूतावास के साथ-साथ न्यूयॉर्क और लॉस एंजिल्स में अफगान वाणज्यि दूतावास में काम कर रहे राजनायिकों को कई महीनों से वेतन नहीं मिला है। 

द न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार अफगान दूतावास को वॉशिंगटन हर महीने लगभग 2,000 डॉलर से 3,000 डॉलर देता है, जिससे दूतावास के जरूरी काम तो किये जा सकते हैं लेकिन कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पाता है।

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अमेरिकी बैंकों ने अफगानिस्तान का फंड फ्रीज कर दिया

दरअसल, अमेरिकी बैंकों (American Banks) ने अक्टूबर 2021 से ही अफगानिस्तान के दूतावासों का फंड रोक दिया हुआ है। अमेरिका का मानना है कि खातों को फ्रीज नहीं किया तो तालिबान धन का दुरुपयोग कर सकते हैं। अमेरिकी बैंकों द्वारा खातों को फ्रीज करने के बाद से अफगान राजनयिकों का भुगतान नहीं हो पाया है। अफगानस्तिान के राजनयिकों को पिछले साल अक्टूबर से ही भुगतान नहीं किया गया है, जब अमेरिकी बैंकों ने तालिबान को दूतावास के धन तक पहुंचने से रोकने के लिए खातों को फ्रीज कर दिया था। 

31 अफगानों ने स्थायी निवास के लिए किया आवेदन

यूएस सिटीजनशिप एंड इमग्रिेशन सर्विसेज के प्रवक्ता मैथ्यू बॉर्के ने द न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि राजनयिकों और उनके परिवार के सदस्यों सहित 31 अफगानों ने अब तक स्थायी निवास के लिए आवेदन किया है। अफगान दूतावास के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन अब्दुल हादी नेजरबी ने बताया कि अमेरिका में करीब 55 अफगान राजनयिक और उनके परिवार के सदस्य शरण मांग रहे हैं। 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शुक्रवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें अमेरिका में जमा अफगान सेंट्रल बैंक से 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर मानवीय ट्रस्ट और आतंकवादी पीड़ितों को मुआवजे के रूप में देने की अनुमति है।

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