अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी का संदेश: भगोड़ा नहीं हूं, देश न छोड़ता, तो कत्लेआम होता; पैसे लेकर नहीं आया

Published : Aug 19, 2021, 07:35 AM ISTUpdated : Aug 19, 2021, 07:51 AM IST
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी का संदेश: भगोड़ा नहीं हूं, देश न छोड़ता, तो कत्लेआम होता; पैसे लेकर नहीं आया

सार

Taliban के डर से देश छोड़कर भागे अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने उन आरोपों को बेबुनियाद बताया है, जिसमें कहा गया कि वे ढेर सारा पैसा लेकर गए हैं। गनी ने बुधवार देर रात अपने देश को संबोधित किया।

अबू धाबी. Taliban के डर से अफगानिस्तान छोड़कर अपने परिवार सहित संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भागे राष्ट्रपति अशरफ गनी ने बुधवार देर रात अपने राष्ट्र को संबोधित किया। देश छोड़ने के चौथे दिन दुनिया के सामने आए गनी ने कहा कि वे भगौड़ा नहीं हैं। अगर वे देश नहीं छोड़ते, तो कत्लेआम होता। उन्होंने अपनी मर्जी से देश नहीं छोड़ा। जो लोग मुझे नहीं जानते, वो अपना फैसला न सुनाएं। तालिबान से बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल रहा था। मैंने मुल्क छोड़कर लोगों को खूनी जंग से बचाया है। सुरक्षा अधिकारियों की सलाह के बाद इच्छा के बगैर देश छोड़ना पड़ा। बता दें कि काबुल स्थित रूसी दूतावास ने मंगलवार को एक बयान में आरोप लगाया था कि गनी चार कारों और एक हेलिकॉप्टर में कैश लेकर भाग गए हैं। सबसे बड़ी बात, कैश इतना था कि हेलिकॉप्टर में नहीं भरा जा सका, तो, वे उसे एयरपोर्ट पर ही छोड़ गए।

केवल एक जोड़ी कपड़े लेकर आया
गनी ने उन आरोपों को बेबुनियाद बताया, जिसमें कहा जा रहा था कि वे देश से ढेर सारा पैसा लेकर गए हैं। गनी ने कहा कि वो केवल एक जोड़ी कपड़े में अफगानिस्तान से निकले हैं। गनी ने अपनी बात फेसबुक पोस्ट के जरिये रखी। गनी को मानवीय आधार पर यूएई ने शरण दी है। गनी ने साफ कहा कि वो अफगानिस्तान वापस लौटने के रास्ते तलाश रहे हैं। वे न्याय, अफगानी संप्रभुता(sovereignty) यानी इस्लामिक मूल्यों के लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे। बता दें कि गनी के भागने के बाद अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति अउमरुल्ला सालेह ने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। सालेह ने तालिबान के आगे हथियार डालने से इनकार किया है।

गनी ने अपने बयान में  कुछ यूं कहा
15 अगस्त की दोपहर गार्ड्स ने आकर बताया कि तालिबान राष्ट्रपति महल तक पहुंच गए हैं। ऐसे में अगर मैं अफगानिस्तान में रहता, तो देश के लोग सरेआम अपने राष्ट्रपति को फांसी पर लटकता देखते। मैंने यूएई पहुंचने के बाद यहां एक आम नागरिक की तरह कस्टम क्लियरेंस ली है। मैं अपनी लाइब्रेरी साथ लाना चाहता था, लेकिन ऐसा संभव नहीं था। तालिबान के खिलाफ हमारे सुरक्षा बल, देश के बड़े नेता और अंतरराष्ट्रीय कम्युनिटी असफल रही। मैं अभी भी हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला के संपर्क में हूं। ये लोग तालिबान से बातचीत कर रहे हैं।

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