
Ajab Gajab: यह दुनिया बहुत बड़ी है और हर जगह के रहन-सहन और खान-पान के तरीके अलग होते हैं। आपने सुना होगा कि कुछ लोग सुअर, हिरण, हाथी, चमगादड़ या यहां तक कि चूहे भी खाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ऐसी जनजाति के बारे में सुना है जो अपने ही परिवार के सदस्यों के शव को खाती है? जी हां ऐसी ही है यानोमामी जनजाति, जो दक्षिण अमेरिका के ब्राजील और वेनेजुएला के जंगलों में पाई जाती है। यह जनजाति पूरी तरह से आधुनिकता और बाहरी दुनिया से कटी हुई है और अपने पुराने रीति-रिवाजों को ही मानती है।
यानोमामी जनजाति की सबसे अजीब परंपराओं में से एक है एंडोकैनिबलिज्म (Endocannibalism), यानी अपने ही मृत परिजनों का मांस खाना। आमतौर पर दुनिया भर में अंतिम संस्कार के लिए दाह संस्कार या दफनाने की परंपरा होती है, लेकिन यानोमामी जनजाति अपने प्रियजनों को अनोखे तरीके से विदा करती है।
यानोमामी लोगों का मानना है कि मृत्यु के बाद आत्मा को शांति तभी मिलती है जब शरीर पूरी तरह नष्ट हो जाए। वे पहले शव को जलाते हैं, फिर उसकी राख और हड्डियों को पीसकर उसे भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं।
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दुनिया भर में जहां लोग अपने मृतकों को दफनाते या जलाते हैं, वहीं यानोमामी जनजाति का यह अनुष्ठान दूसरों के लिए अकल्पनीय लगता है। इंसान का मांस खाने की कल्पना मात्र से ही लोगों को झटका लग सकता है, लेकिन इस जनजाति के लिए यह पूरी तरह से सामान्य और सम्मानजनक प्रक्रिया है।
मानव विज्ञानियों के अनुसार, यह प्रथा संस्कृति और आस्था से जुड़ी हुई है और इसे असभ्य कहना सही नहीं होगा। हर समाज के अपने विश्वास होते हैं और यानोमामी जनजाति इसे अपने परिजनों को विदा करने का सबसे पवित्र तरीका मानती है।
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