
Bangladesh Crisis: बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन की याद में मुजीबनगर में बनाई गई स्मारक में पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण वाली प्रतिमा को ध्वस्त कर दिया गया है। भारत विरोधियों ने इस काम को अंजाम दिया है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बताया कि बांग्लादेश की मुक्ति की याद में बनाई गई एक प्रतिमा को भारत विरोधी उपद्रवियों ने नष्ट कर दिया है। थरूर ने टूटी हुई प्रतिमा की एक तस्वीर साझा की जिसमें 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान के आत्मसमर्पण के क्षण को दर्शाया गया है।
कांग्रेस सांसद बोले-ऐसी तस्वीरें दु:खद हैं...
केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने एक्स पर पोस्ट किया कि मुजीबनगर में 1971 के शहीद स्मारक परिसर में स्थित प्रतिमाओं को भारत विरोधी उपद्रवियों द्वारा नष्ट किए जाने की ऐसी तस्वीरें देखना दुखद है। यह कई स्थानों पर भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, मंदिरों और हिंदू घरों पर अपमानजनक हमलों के बाद हुआ है जबकि मुस्लिम नागरिकों द्वारा अन्य अल्पसंख्यक घरों और पूजा स्थलों की रक्षा करने की खबरें भी आई हैं।
भारत ने बांग्लादेश को आजाद कराने में मदद की
1971 में हुए युद्ध में भारत ने बांग्लादेश को आजादी दिलाने में मदद करने के साथ पाकिस्तान को बड़ी हार का मजा भी चखाया था। मेजर जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी ने अपने 93,000 सैनिकों के साथ भारत के पूर्वी कमान के तत्कालीन जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण था।
बांग्लादेश के मुजीबनगर में एक स्मारक भी बनी है। इस स्मारक में एक प्रतिमा लगाई गई थी। इसमें पाकिस्तानी सेना के मेजर जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी द्वारा भारतीय सेना और बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी के समक्ष 'समर्पण के दस्तावेज' पर हस्ताक्षर किए जाने को दर्शाया गया है।
यह भी पढ़ें:
सेंट मार्टिन द्वीप ने छीनी शेख हसीना की कुर्सी, पूर्व PM ने बताया अमेरिका का सच
अंतरराष्ट्रीय राजनीति, ग्लोबल इकोनॉमी, सुरक्षा मुद्दों, टेक प्रगति और विश्व घटनाओं की गहराई से कवरेज पढ़ें। वैश्विक संबंधों, अंतरराष्ट्रीय बाजार और बड़ी अंतरराष्ट्रीय बैठकों की ताज़ा रिपोर्ट्स के लिए World News in Hindi सेक्शन देखें — दुनिया की हर बड़ी खबर, सबसे पहले और सही तरीके से, सिर्फ Asianet News Hindi पर।