
अल्माटी: कजाकिस्तान में शनिवार को एक खदान में भयानक हादसा होने से कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई। खदान, आर्सेलर मित्तल के स्वामित्व वाली है। एशियाई देश की यह हाल के वर्षों की सबसे खराब आपदा है। इसमें अभी दर्जन भर से अधिक लोग लापता हैं। राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव ने लक्ज़मबर्ग लिस्टेड आर्सेलरमित्तल ग्रुप को देश के इतिहास की सबसे खराब कंपनी कहा है। प्रेसिडेंट ने सरकार को कंपनी की कजाख ब्रांच का कंट्रोल लेने का आदेश दिया है। कजाक सरकार ने देश में इस हादसा के बाद रविवार को एक दिन का शोक घोषित किया है।
32 शव मिले, 14 की तलाश जारी
कजाकिस्तान की खदान में लगी यह आग अबतक का सबसे घातक हादसा बताया जा रहा है। इमरजेंसी मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कोस्टेंको खदान में शनिवार शाम 4 बजे (1000 GMT) तक 32 लोगों के शव पाए गए हैं। 14 अन्य की तलाश जारी है। इस हादसा के बाद कारागांडा क्षेत्र में पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति टोकायेव ने कहा कि यह एक त्रासदी है। उन्होंने रविवार को एक दिन के राष्ट्रीय शोक का आह्वान किया।
राष्ट्रपति ने दिया आर्सेलरमित्तल के खिलाफ आदेश
राष्ट्रपति टोकायेव ने आर्सेलरमित्तल के सुरक्षा रिकॉर्ड की निंदा करने के साथ अपनी सरकार को खदानों पर नियंत्रण लेने का आदेश दिया। आर्सेलर मित्तल के लिए काम करने वाले कारागांडा क्षेत्र के डिप्टी गवर्नर वादिम बेसिन को कंपनी का प्रमुख बनाया है। अब कजाकिस्तान में आर्सेलर मित्तल की स्वामित्व वाली माइन को सरकार ने नियंत्रण में ले लिया है। कंपनी का मौजूदा प्रबंधन कुछ नहीं कर सकता। राष्ट्रपति टोकायेव ने कहा कि किसी कंपनी और सरकार के बीच सहयोग के दृष्टिकोण से यह कंपनी हमारे इतिहास में सबसे खराब साबित हुई है।
आर्सेलर मित्तल का कजाकिस्तान में अच्छा इतिहास नहीं
आर्सेलरमित्तल का कजाकिस्तान में घातक हादसों का इतिहास रहा है। यहां कंपनी पर तमाम बार सुरक्षा और पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया जाता रहा है। यह आग 2006 के बाद से कजाकिस्तान की सबसे खराब खनन दुर्घटना थी। 2006 में आर्सेलरमित्तल साइट पर 41 लोगों की मौत हो गई थी। दो महीने पहले भी आर्सेलर मित्तल की माइन साइट में हुए विस्फोट में पांच लोगों की जान चली गई थी। पिछले साल नवंबर से कजाकिस्तान के आर्सेलरमित्तल में पांच और घातक हादसे हो चुके हैं जिसमें कम से कम 12 लोगों की मौत हो चुकी है। एक रिपोर्ट के अनुसार 2006 के बाद से अबतक आर्सेलर मित्तल के खदानों में कम से कम 100 लोग मारे जा चुके हैं।
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