UNSC में बतौर इलेक्टेड मेंबर के तौर पर भारत ने अपने आखिरी बयान में कहा-'अफगानिस्तान हमारे दिलों में रहेगा'

 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक बार फिर अफगानिस्तान, आतंकवाद और ड्रग्स का मुद्दा गूंजा। भारत ने कहा कि वे दिन अब खत्म हो गए हैं, जब अफगानिस्तान का इस्तेमाल दूसरों द्वारा तथाकथित रणनीतिक गहराई के रूप में किया जाता था।

Amitabh Budholiya | Published : Dec 21, 2022 1:29 AM IST / Updated: Dec 21 2022, 07:04 AM IST

संयुक्त राष्ट्र(United Nations). संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद(UN Security Council) में एक बार फिर अफगानिस्तान, आतंकवाद और ड्रग्स का मुद्दा गूंजा। भारत ने कहा कि वे दिन अब खत्म हो गए हैं, जब अफगानिस्तान का इस्तेमाल दूसरों द्वारा तथाकथित रणनीतिक गहराई(so-called strategic depth) के रूप में किया जाता था। विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम), संजय वर्मा ने मंगलवार(20 दिसंबर) को अफगानिस्तान पर UNSC की ब्रीफिंग को संबोधित किया। पढ़िए और क्या बोला भारत?


1. संजय वर्मा ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता महत्वपूर्ण अनिवार्यताएं हैं, जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सामूहिक रूप से प्रयास करने की जरूरत है।  भारत इस उद्देश्य को हासिल करने की दिशा में अपनी भूमिका निभाता रहेगा और नई दिल्ली के प्रयासों के मूल में अफगान लोगों के हित बने रहेंगे।

2.संजय वर्मा ने कहा कि वे दिन लद गए, जब अफगानिस्तान का इस्तेमाल अन्य लोगों द्वारा तथाकथित सामरिक गहराई के रूप में किया जाता था। उन्होंने कहा कि इस तरह के टेड़े नजरिये ने अफगानिस्तान के लोगों के लिए केवल दु:ख और क्षेत्र में तबाही ला दी है।

3. वर्मा ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में सिक्योरिटी सिचुएन पर करीब से नजर रख रहा है और उस देश से जुड़े मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सक्रिय रूप से कनेक्ट है।

4. वर्मा ने कहा कि यह चिंताजनक प्रवृत्ति(concerning trend) कि  आतंकवादी हमलों ने सार्वजनिक स्थानों जैसे पूजा स्थलों और शैक्षणिक संस्थानों, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के साथ-साथ राजनयिक परिसरों को भी निशाना बनाया है। 

5. वर्मा ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के कलेक्टिव अप्रोच को सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 में व्यक्त किया गया है, जो स्पष्ट रूप से मांग करता है कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का उपयोग संयुक्त राष्ट्र परिषद द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद सहित आतंकवादी गतिविधियों, विशेष रूप से आतंकवादी व्यक्तियों और संस्थाओं को शरण देने, प्रशिक्षण, योजना बनाने या फाइनेंसिंग के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

6.सीनियर अधिकारी ने यह भी कहा कि आतंकवाद के मुद्दे से निकटता से जुड़ा हुआ मादक पदार्थों की तस्करी का भी खतरा है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए तस्करी के नेटवर्क को बाधित करने और खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना महत्वपूर्ण है।

7. राजनीतिक मोर्चे पर, वर्मा ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में एक समावेशी व्यवस्था की मांग करता है, जो अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करती है।

8. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में दीर्घकालिक शांति और स्थिरता के लिए और बदले में आर्थिक सुधार और विकास के लिए एक व्यापक-आधारित, समावेशी और प्रतिनिधि गठन आवश्यक है।

9. वर्मा ने कहा-"अफगानिस्तान के निकटस्थ पड़ोसी और लंबे समय से चले आ रहे साझेदार के रूप में हमारी स्थिति के साथ-साथ अफगान लोगों के साथ हमारे मजबूत ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों को देखते हुए अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता की वापसी सुनिश्चित करने में भारत का प्रत्यक्ष हित है। अफगानिस्तान हमेशा की तरह, हमारी ऐतिहासिक मित्रता और अफगानिस्तान के लोगों के साथ हमारे विशेष संबंधों में दिखाई देगा।"

10.अफगानिस्तान में सामने आ रही मानवीय स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए वर्मा ने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता(humanitarian assistance) की कई खेपें भेजी हैं और आगे भी अफगानों की मदद जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

11. वर्मा ने कहा कि अफगानिस्तान में भारत की मुख्य प्राथमिकताओं में अफगान लोगों के लिए तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करना, वास्तव में समावेशी और प्रतिनिधि सरकार का गठन, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी से मुकाबला करना और महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को संरक्षित करना शामिल है।

12. UNSC संकल्प 2593 द्वारा निर्धारित किया गया है, जो अफगानिस्तान के प्रति अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करता है। यह स्वीकार करते हुए कि सुरक्षा परिषद के सदस्य के रूप में अपने मौजूदा कार्यकाल में अफगानिस्तान पर शायद भारत का आखिरी बयान होगा, वर्मा ने एक करीबी पड़ोसी के रूप में कहा, "अफगानिस्तान हमारे दिलों में बना रहेगा और हम अफगान लोगों के समर्थन में बोलना जारी रखेंगे।" निर्वाचित सदस्य के रूप में परिषद में भारत का 2021-22 का कार्यकाल इसी महीने समाप्त हो रहा है। देश ने सुरक्षा परिषद में 2028-29 के कार्यकाल के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है।

यह भी पढ़ें
पाकिस्तान में गूंजा जयश्रीराम व हर-हर महादेव: मां पार्वती के सती होने पर यहीं गिरा था शिवजी का एक आंसू
तालिबान ने अब लड़कियों की उच्च शिक्षा पर भी लगाया प्रतिबंध, सभी यूनिवर्सिटीज में महिलाओं की no entry

 

Share this article
click me!