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पाकिस्तान में गूंजा जयश्रीराम व हर-हर महादेव: मां पार्वती के सती होने पर यहीं गिरा था शिवजी का एक आंसू
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ETPB के प्रवक्ता आमिर हाशमी ने बताया कि लाहौर से करीब 300 किलोमीटर दूर चकवाल जाने से पहले हिंदू तीर्थयात्री कटास राज में अपने धार्मिक उत्सव में शामिल होने के लिए एक दिन लाहौर में रहेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्य कार्यक्रम महा शिवरात्रि चकवाल में 22 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं।
पाकिस्तान पहुंचे हिंदू तीर्थयात्रियों के नेता संजीव कुमार ने कहा कि उन्हें पाकिस्तान में प्यार मिलता है और उम्मीद है कि ETPB उनके पवित्र स्थानों की अच्छी देखभाल कर रहा है।
श्री कटास राज मंदिर को किला कटास के नाम से भी जाना जाता है, जो कई हिंदू मंदिरों का एक परिसर है। ये सभी पैदल मार्ग(walkways) द्वारा एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। मंदिर परिसर कटास नामक एक तालाब से घिरा हुआ है, जिसे हिंदुओं द्वारा पवित्र माना जाता है। यह परिसर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के पोटोहर पठार क्षेत्र में स्थित है।
कटास राज पाकिस्तान के पंजाब के उत्तरी भाग में नमक कोह पर्वत शृंखला में स्थित हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। कटास राज मंदिर का निर्माण खटाना गुर्जर राजवंश ने करवाया था। यहां एक प्राचीन शिव मंदिर है। यहां कुछ और भी मंदिर हैं। कहा जाता है कि ये 10वीं शताब्दी में बनवाए गए।
इतिहासकारों एवं पुरात्तव विभाग के अनुसार, इस स्थान को शिव नेत्र माना जाता है। जब मां पार्वती सती हुईं, तो भगवान शिव की आंखों से दो आंसू टपके। एक आंसू कटास पर टपका जहां अमृत बन गया यह आज भी महान सरोवर अमृत कुण्ड तीर्थ स्थान कटास राज के रूप में है। जबकि दूसरा आंसू अजमेर राजस्थान में टपका और यहाँ पर पुष्करराज तीर्थ स्थान है।
यह भी माना जाता है कि महाभारत काल में पांडव बनवास के दिनों में इन्ही पहाड़ियों में अज्ञातवास में रहे। यहीं वह कुंड है, जहां पांडव प्यास लगने पर पानी की खोज में पहुंचे थे। इस कुण्ड पर यक्ष का अधिकार था।
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