करोड़ों मधुमक्खियों की जान का दुश्मन क्यों बन गया आस्ट्रेलिया, कारण थोड़ा शॉकिंग है...

आस्ट्रेलिया में मधुमक्खियों की जान खतरे में है। कारण यह है कि आस्ट्रेलिया की शहद इंडस्ट्री को बचाने के लिए मधुमक्खियों को मारना पड़ रहा है। 
 

Manoj Kumar | Published : Jul 5, 2022 12:37 PM IST

नई दिल्ली. आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि आस्ट्रेलिया जैसे देश में मधुमक्खियों को जान-बूझकर मारा जा रहा है। जबकि आस्ट्रेलिय दुनिया का सबसे बड़ा शहद उत्पादक देश है। पूरे वर्ल्ड में आस्ट्रेलियाई शहद की डिमांड रहती है और यह कई देशों को यहां का शहद निर्यात किया जाता है। हालांकि एक महामारी के भय से आस्ट्रेलिया में मधुमक्खियों की जान सांसत में आ गई है। 

क्या है इसकी मुख्य वजह
दरअसल, आस्ट्रेलिया में शहद बनाने वाली मधुमक्खियों पर आफत इसलिए आ गई है क्योंकि आस्ट्रेलिया की शहद इंडस्ट्री पर इस समय वारोआ मिटे प्लेग नामक महामारी का खतरा मंडरा रहा है। देश की शहद इंडस्ट्री को बचाने के लिए ही यहां मधुमक्खियों को मारा जा रहा है। कहा जा रहा है कि यह एक ऐसी बीमारी है जिसे रोका नहीं गया तो पूरी इंडस्ट्री के चौपट होने का खतरा बना हुआ है। यही कारण है कि यहां रोजाना लाखों मधुमक्खियों को मारा जा रहा है। 

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अब तक लाखों को मारा गया
आस्ट्रेलियाई अथारिटीज का कहना है कि बीमारी को आगे बढ़ने से रोकना है तो मधुमक्खियों को मारना ही पड़ेगा। इसके अलावा कोई विकल्प मौजूद नहीं है। अथारिटीज की मानें तो अभी तक करीब 600 छत्तों की मधुमक्खियों को मारा जा चुका है। वहीं अभी भी लाखों मधुमक्खियों को मारने की योजना बना ली गई है। अधिकारियों की मानें तो 6 मील के दायरे में मधुमक्खियों को मारने के लिए इरैडिकेशन जोन बनाया गया है। अधिकारियों का कहना है कि यह करके ही दुनिया को इस भयानक प्लेग महामारी से बचाया जा सकता है।

कैसे बन जाते प्लेग का शिकार
अधिकारियों ने बताया कि जो प्लेग आस्ट्रेलिया में मधुमक्खियों को शिकार बना रहा है, उसकी वजह से उनकी उड़ने की क्षमता प्रभावित होती है। प्लेग के कारण उनमें भोजन जुटाने और शहद उत्पादन की क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इस प्लेग की वजह से ही आस्ट्रेलिया में लाखों मधुमक्खियों को मारना पड़ रहा है। जून के अंत में इस बीमारी का पता चला। इसके बाद शहद उत्पादकों ने पूरी तरह से लाकडाउन लगा दिया था। 

200 साल पहले शुरू हुआ मधुमक्खी पालन
आस्ट्रेलिया की बात करें तो यहां 1822 में सबसे पहली मधुमक्खी एपिस मेलीफेरा लाई गई थी। उसके बाद आस्ट्रेलिया में मधुमक्खी पालने वालों की संख्या बढ़ती गई। आज ग्रामीण आस्ट्रेलिया की बात करें तो हर गांव में मधुमक्खी का पालन किया जाता है। मधुमक्खियों से उत्पादित होने वाला शहद ही यहां की अर्थव्यवस्था का मुख्य स्रोत है। अधिकारियों का मत है कि इस प्लेग की वजह से अभी तक करीब 70 मिलियन डालर का नुकसान हो चुका है। 

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