
Balochistan History : बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तान को टेंशन में डाल दिया है। पहले जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक किया, अब पाकिस्तानी आर्मी पर अटैक कर चुनौतियां बढ़ा दी हैं। बलूचिस्तान (Balochistan), पाकिस्तान से अलग होने की मांग कर रहा है। यह पूरा इलाका पाकिस्तान का 44 प्रतिशत है। इसकी आबादी करीब 1.5 करोड़ है। यह इलाका तेल, सोना, तांबा और अन्य खदानों से भरा पड़ा है। इन संसाधनों का इस्तेमाल पाकिस्तान अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए करता है लेकिन बलूचिस्तान पिछड़ा का पिछड़ा ही है। यही वजह है कि यहां के लोगों के मन में पाकिस्तान के खिलाफ नफरत काफी ज्यादा है। इस क्षेत्र का इतिहास काफी ज्यादा पुराना और दिलचस्प है। आइए जानते हैं जहां आज बलूचिस्तान है, वहां पहले क्या था?
इतिहासकारों के अनुसार, बलूचिस्तान जिस जगह हैं, वहां का इतिहास करीब 9,000 साल पुराना है। प्राचीन समय में इस जगह सिंधु सभ्यता (Indus Valley Civilization) का प्रमुख शहर मेहरगढ़ हुआ करता था। करीब 3 हजार साल पहले जब सिंधु घाटी सभ्यता का अंत हुआ, तब यहां के लोग सिंध और पंजाब के इलाकों में जाकर बस गए। इसके बाद ये इलाका वैदिक सभ्यता के प्रभाव में आ गया।
बलूचिस्तान में हिंदुओं की प्रमुख शक्तिपीठ हिंगलाज माता का मंदिर है। जिसे पाकिस्तान (Pakistan) में नानी के हज नाम से जाना जाता है। एक समय यह शहर बौद्ध धर्म का भी प्रमुख केंद्र रहा। 7वीं सदी में अरब हमलावरों ने इस इलाके पर हमला कर इस्लाम का प्रभाव बढ़ाया।
आधुनिक बलूचिस्तान का इतिहास 1876 से है। तब यहां कलात रियासत का शासन था। भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश राज चल रहा था। इसी साल ब्रिटिश सरकार और कलात के बीच संधि की गई, जिसके मुताबिक, अंग्रेजों ने कलात को सिक्किम और भूटान की तरह प्रोटेक्टोरेट स्टेट का दर्जा दे दिया। मतलब कलात के आंतरिक मामलों में ब्रिटिश सरकार ने दखल न देने काकहा लेकिन विदेश और रक्षा मामलों पर उसका ही कंट्रोल था।
1947 में भारत और पाकिस्तान की तरह कलात में भी आजादी की मांग होने लगी। 1946 में जब अंग्रेजों का जाना तय हुआ, तब कलात शासक मीर अहमद खान ने अंग्रेजों के सामने अपना पक्ष रखने के लिए मोहम्मद अली जिन्ना को सरकारी वकील बनाया। 4 अगस्त 1947 में बलूचिस्तान नाम से नया देश बनाने के लिए दिल्ली में बैठक हुई। इसमें मीर अहमद खान, जिन्ना और जवाहर लाल नेहरू शामिल हुए। जिन्ना ने कलात की आजादी की पैरवी की। जिन्ना ने ही सलाह दिया था कि कलात, खरान, लास बेला और मकरान को मिलाकर बलूचिस्तान बनाया जाए। 11 अगस्त 1947 को कलात और मुस्लिम लीग में समझौता हुआ और बलूचिस्तान एक देश बन गया। हालांकि, इसकी सुरक्षा पाकिस्तान के पास थी।
बलूचिस्तान की आजादी के ठीक एक महीने बाद 12 सितंबर को ब्रिटेन ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि बलूचिस्तान अलग देश बनने की हालत में नहीं है। वह इंटरनेशनल रिस्पॉन्सिबिलिटीज नहीं उठा सकता है। अक्टूबर 1947 में कलात के खान पाकिस्तान गए, जिन्ना से मदद मांगी लेकिन पाकिस्तान की ओर से उनका स्वागत करने कोई नहीं गया। इतिहासकारों के अनुसार,जिन्ना ने खान से बलूचिस्तान का पाकिस्तान में विलय करने को कहा। जब खान ने नहीं मानी तो 26 मार्च 1948 को पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान में घुसकर उसका जबरन विलय कराया। बलूचिस्तान सिर्फ 227 दिन ही एक देश के तौर पर रह सका। जिसके बादसे बलूचिस्तान के लोगों में पाकिस्तान के लिए नफरत बढ़ गई।
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