शेख हसीना के तख्तापलट के 1 साल पूरे, स्थिरता की तलाश में बांग्लादेश, बढ़ रही बेचैनी

Published : Aug 05, 2025, 01:07 PM ISTUpdated : Aug 05, 2025, 01:17 PM IST
Sheikh Hasina

सार

Bangladesh Coup 2024: बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को तख्तापलट से शेख हसीना का 15 साल पुराना शासन खत्म हुआ। मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी, लेकिन एक साल बाद भी अस्थिरता, अल्पसंख्यकों पर हिंसा और आर्थिक संकट जारी हैं।

Sheikh Hasina Exit: बांग्लादेश में तख्तापलट हुए एक साल हो गए। 5 अगस्त 2024 को हिंसक विरोध प्रदर्शन के चलते पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा था। हसीना के भारत आने के साथ ही बांग्लादेश में उनका 15 साल का शासन खत्म हो गया था। इसके बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार का नेतृत्व संभाला। उनपर चुनावी और संवैधानिक सुधारों को लागू करने और विश्वसनीय चुनाव कराने की जिम्मेदारी है।

एक साल बाद भी, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार राजनीतिक अस्थिरता, धार्मिक ध्रुवीकरण और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की चुनौतियों का सामना कर रही है। हसीना के खिलाफ मुकदमे चलाए जा रहे हैं। बड़े राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद, उदार लोकतंत्र, राजनीतिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सद्भाव पर आधारित बांग्लादेश के निर्माण के प्रयास अभी तक सफल नहीं हुए हैं। बांग्लादेश को स्थिरता की तलाश है। चुनाव में हो रही देर से लोगों की बेचैनी बढ़ रही है।

सरकार विरोधी आंदोलन में मारे गए सैकड़ों लोग

बांग्लादेश में सरकार विरोधी आंदोलन के चलते भारी जनहानि हुई। सैकड़ों लोग मारे गए। पुलिस थाने और सरकारी ऑफिस जला दिए गए। अवामी लीग के नेताओं को मार डाला गया। हिंदुओं को निशाना बनाया गया। उनके घर जला दिए गए। बहुत से हिंदू अल्पसंख्यकों की हत्या की गई।

भारत के साथ संबंध बिगड़े

शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश में जिस तरह हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार हुआ उससे भारत के लोगों में आक्रोश पनपा। भारत सरकार ने बांग्लादेश के सामने हिंदुओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाया। मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने हिंदुओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की जगह भारत विरोधी रूख अपनाया। चीन जाकर यूनुस ने भारत के खिलाफ बयानबाजी की। रिश्ते बिगड़ने का असर हुआ कि भारत ने बांग्लादेश का निर्यात बढ़ाने के लिए दी जा रही मदद बंद कर दी। इसके चलते बांग्लादेश की आर्थिक हालत खराब हुई है।

बांग्लादेश की आर्थिक हालत हुई खराब

विद्रोह से पहले ही, बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था वैश्विक झटकों से जूझ रही थी। 2024 में मुद्रास्फीति 11.66% थी। यह 12 वर्षों के उच्चतम स्तर पर थी। विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट आई। जून 2025 में यह करीब 30 अरब डॉलर था।

बांग्लादेश में कब होंगे चुनाव?

बांग्लादेश में इस समय अंतरिम सरकार है। इसका काम चुनाव कराकर नई सरकार को सत्ता सौंप देना है, लेकिन चुनाव कब होंगे यह तय नहीं है। अंतरिम प्रशासन और मुख्य विपक्षी दल, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के बीच मतभेदों ने अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है। बीएनपी ने फरवरी 2026 तक चुनाव कराने की मांग की है, जबकि यूनुस ने अप्रैल में चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा है।

हसीना के शासन में पहले प्रतिबंधित रहे इस्लामी समूहों को अंतरिम सरकार में जगह मिल गई है। इस बीच, विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्र नेताओं ने एक नई राजनीतिक पार्टी बनाई है। कुछ इस्लामी नेता या तो रिहा हो गए हैं या हिरासत से भाग निकले हैं। सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी सक्रिय है। उसने हाल ही में ढाका में एक बड़ी रैली की।

बांग्लादेश में लगातार बढ़ रही निराशा

विरोध प्रदर्शन के दौरान बांग्लादेश के कुछ लोगों को उम्मीद थी कि बदलाव होंगे, लेकिन सार्थक बदलाव नहीं हुए हैं। इससे लोगों में निराशा बढ़ गई है। प्रदर्शनकारी मेहरुन्नेसा के पिता मुशर्रफ हुसैन ने कहा कि यह आंदोलन गहरे असंतोष के चलते हुआ। उन्होंने कहा, “हम एक नया बांग्लादेश चाहते हैं। आजादी के 54 साल हो गए, फिर भी आजादी नहीं मिली। मैं नए बांग्लादेश को एक ऐसी जगह के रूप में देखना चाहता हूं सुरक्षित महसूस करूं। लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियां अपना कर्तव्य ठीक से निभाएं। सरकार पहले की तरह जबरन गुमशुदगी या हत्या का सहारा न ले। मैं खुलकर बोलने का अधिकार चाहता हूं।”

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