वर्ल्ड न्यूज। बांग्लादेश में हालात सुधर नहीं रहे हैं। पूर्व पीएम शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से स्थिति और भी ज्यादा खराब हो गई है। राजधानी ढाका समेत अन्य जिलों में भी हिंसा देखने को मिल रही है। आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी माहौल शांत क्यों नहीं हुआ ? जनता हिंसा पर क्यों उतर आई और छात्रों का आंदोलन देखते ही देखते राजनीतिक कैसे बन गया? अंदेशा यह भी जताया जा रहा है कि इसमें अमेरिका का हाथ हो सकता है। हांलाकि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है कि बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिराने यूएस के शामिल होने की बात बेतुकी और बेबुनियाद है। हमारा इससे कोई लेना देना नहीं।
अमेरिका विदेश मंत्रालय के डिप्टी स्पोक्सपर्सन का जवाब
अमेरिका विदेश मंत्रालय के डिप्टी स्पोक्स पर्सन ने कहा कि बांग्लादेश में हो रही हिंसा को लेकर कई सारी चर्चा हो रही हैं। इसमें यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि शेख हसीना की सरकार गिराने के पीछे अमेरिका का हाथ है। उन्होंने कहा कि ये आरोप बिल्कुल गलत और बेबुनियाद हैं। यूएस का बांग्लादेश में फैली हिंसा और पॉलिटिकल क्राइसिस से कोई लेना देना नहीं है। सोशल मीडिया पर झूठी जानकारियां फैलाई जा रही हैं।
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अमेरिका बोला- प्रदर्शनकारियों पर सख्ती से भड़की हिंसा
अमेरिका के उप प्रवक्ता माइकल कुगेलमैन ने एक इंटरव्यू में कहा कि बांग्लादेश हिंसा के लिए यूएस को दोषी ठहरना बेतुकी बात है। हम इस प्रकार की राजनीति नहीं करते। शेख हसीना सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान छात्रों पर लाठीचार्ज, रबर बुलेट से फायरिंग करने से आंदोलन उग्र हो गया। प्रदर्शनकारियों पर सख्ती के कारम हिंसा भड़की और हालात बेकाबू हो गए। इस स्थिति के लिए हम नहीं, खुद उस समय की शेख हसीना सरकार जिम्मेदार है।
बांग्लादेश हिंसा में अब तक 232 की मौत
बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर शुरू हुआ विवाद अब तक जारी है। हिंसक प्रदर्शन के कारण अब करीब 232 लोगों की जानें जा चुकी हैं। प्रदर्शनकारियों ने जेल पर हमला कर 209 कैदियों को भी फरार कर दिया। पीएम आवास में घुसकर उत्पात करने के साथ मंदिरों में तोड़फोड़ और हिन्दू पर भी अत्याचार किया गया।