तीन पेज के इमोशनल लेटर में शेख हसीना ने मांग की है कि देश में दंगाइयों को दंडित किया जाए। मेरे जैसे हजारों लोगों ने अपने प्रियजन को खोया है।
Bangladesh Ex PM Sheikh Hasina 1st reaction: बांग्लादेश में हिंसात्मक विरोध प्रदर्शनों के चलते पीएम पद से जबरिया इस्तीफा देने को मजबूर हुईं पूर्व पीएम शेख हसीना ने ढाका छोड़ने के बाद पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है। पूर्व पीएम ने देश में हुए आंदोलन के नाम पर हुआ बर्बादी का नाच करार दिया है। उन्होंने कहा कि विरोध के नाम पर विध्वंस किया गया। आम लोगों, नेताओं, पुलिसवालों, सामाजिक कार्यकर्ताओं की हत्याएं की गई। मेरे जैसे हजारों लोगों ने अपने प्रियजन को खोया है। मैं उन लोगों के साथ खड़ी हूं और न्याय की मांग करती हूं।
तीन पेज के इमोशनल लेटर में शेख हसीना ने मांग की है कि देश में दंगाइयों को दंडित किया जाए। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के संस्थापक व उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने वाले गुनहगारों के खिलाफ कार्रवाई हो ताकि उनको न्याय मिल सके।
शेख हसीना ने कहा: शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा अब धूल बन चुका है। और हमारी जो यादें थीं - वे राख में बदल गई हैं। मुजीबुर रहमान के प्रति अनादर दिखाया गया है जिनके नेतृत्व में हमें अपनी आज़ादी, पहचान, आत्म-सम्मान मिला। हज़ारों स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा बहाए गए खून को अपवित्र किया गया है। मैं अपने देशवासियों से इसके लिए न्याय की माँग करती हूं।
बेटे के एक्स हैंडल पर पोस्ट किया गया शेख हसीना का लेटर
हसीना के लेटर को उनके बेटे के एक्स हैंडल पर पोस्ट किया गया है। उन्होंने अपने परिवार के अन्य सदस्यों व सहयोगियों के परिजन को याद किया जिन्होंने 15 अगस्त 1975 को अपने पिता की हत्या समय मार डाला गया था। बता दें कि सेना ने 15 अगस्त 1975 में बांग्लादेश में तख्तापलट कर दिया था। उस समय बंगबंधु के नाम से प्रसिद्ध शेख मुजीबुर रहमान, उनके बेटों और उनकी पत्नियों, उनके भाई के परिवार, करीबी सहयोगियों व उनके परिवार को उसी रात मार डाला गया था।
छात्र आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों को भी दी श्रद्धांजलि
पूर्व पीएम ने 1975 में मारे गए परिजन को श्रद्धांजलि देने के बाद बीते दिनों हुए आंदोलन और विरोध प्रदर्शनों में मारे गए लोगों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि विरोध के नाम पर देश भर में विध्वंस का नंगा नाच कई लोगों की जान ले चुका है। इस विध्वंस में छात्र, शिक्षक, पुलिस, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, आम लोग, अवामी लीग के नेता और कार्यकर्ता, पैदल यात्री और कार्यालय कर्मचारी मारे गए हं। जिन लोगों ने मेरे जैसे अपने प्रियजनों को खोया है, उनके प्रति मैं अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं। उन्होंने मांग किया कि इस नरसंहार और विनाश में शामिल लोगों की जांच कर उनको अरेस्ट किया जाए और सजा दिलाई जाए।
दरअसल, कोटा आंदोलन के बाद शुरू हुए सरकार विरोधी आंदोलन में हिंसा के दौरान दो सौ से अधिक जानें गई। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री आवास में पहुंच कर तोड़फोड़ किया और लूटपाट मचाया। इसके बाद आग के हवाले कर दिया गया था। यही नहीं प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को भी तोड़ कर धूल में मिला दिया।
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