Bangladesh Violence: सरकार की सलाह घर में रहें, संकट में इन नंबरों पर करें कॉल

बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर हिंसा (Bangladesh quota violence) हो रही है। इस वजह से भारत सरकार की ओर से भारतीयों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। इसमें उन्हें घर में रहने के लिए कहा गया है।

ढाका। बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर हिंसा (Bangladesh quota violence) हो रही है। तनाव बहुत बढ़ा हुआ है। इस वजह से भारत ने बांग्लादेश में अपने नागरिकों और छात्रों के लिए एडवाइजरी जारी की है। भारत के लोगों से कहा गया है कि घर में रहें। इसके साथ ही इमरजेंसी कॉन्टैक्ट नंबर जारी किए गए हैं। संकट होने पर इन नंबरों पर फोन कर सहायता पा सकते हैं।

बांग्लादेश स्थित भारतीय दूतावास ने यह एडवाइजरी जारी की है। इसमें बांग्लादेश में अपने नागरिकों और छात्रों से कहा गया है कि घर में रहें। बाहर कम निकलें। एडवाइजरी में कहा गया है, "बांग्लादेश में वर्तमान स्थिति को देखते हुए भारतीय समुदाय के सदस्यों और बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय छात्रों को यात्रा से बचने और अपने घर से बाहर कम से कम निकलने की सलाह दी जाती है।"

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बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर हुए झड़पों हुई है 6 लोगों की मौत

भारतीय दूतावास ने कहा, "किसी भी सहायता की जरूरत होने पर कृपया हाई कमिशन और हमारे असिस्टेंट हाई कमिशन से संपर्क करें।" बुधवार को सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली में सुधार की मांग कर रहे छात्रों ने सुरक्षा बलों की कार्रवाई के खिलाफ गुरुवार को पूरे देश में बंद की घोषणा की है। बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर हुए झड़पों में चार छात्रों सहित कम से कम छह लोग मारे गए।

बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर क्यों भड़की हिंसा?

बांग्लादेश में छात्र सरकार की नौकरी में आरक्षण की प्रणाली का विरोध कर रहे हैं। इसके चलते छात्रों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़पें हो रही हैं। हाल ही में बांग्लादेश के हाईकोर्ट ने देश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले लोगों के वंशजों के लिए 30% सरकारी नौकरी कोटा बहाल करने का फैसला सुनाया। इसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। प्रदर्शनकारी महिलाओं, जातीय अल्पसंख्यकों और विकलांगों के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं। वे स्वतंत्रता संग्राम लड़ने वाले लोगों के परिजनों को 30% आरक्षण खत्म करने की मांग कर रहे हैं।

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कोटा विरोधी प्रदर्शनों में मुख्य भूमिका निभा रहे नाहिद इस्लाम ने कहा, "हम सामान्य तौर पर कोटा प्रणाली के खिलाफ नहीं हैं। हम चाहते हैं कि 1971 के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए 30% कोटा समाप्त कर दिया जाए। बांग्लादेश में कई युवाओं के लिए सरकारी नौकरियां ही एकमात्र उम्मीद हैं। यह कोटा प्रणाली उन्हें अवसरों से वंचित कर रही है।"

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