
Sheikh Hasina Case Latest News: इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT-BD) ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके दो सहयोगियों को 2024 में छात्रों के विरोध-प्रदर्शन पर हिंसक कार्रवाई का दोषी पाया है। उन्हें फांसी की सजा दी गई है। यह फैसला कई महीनों चले मुकदमे के बाद आया, जिसमें हसीना खुद मौजूद नहीं थीं। 78 वर्षीय हसीना पिछले साल 5 अगस्त 2024 को सत्ता से हटने के बाद नई दिल्ली में निर्वासित हैं। इस फैसले के चलते ढाका पूरी तरह से किले में बदल गया है। सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बल पूरे शहर में तैनात हैं। ICT के मुख्य न्यायाधीश का कहना है कि शेख हसीना ने गृहमंत्री और पुलिस प्रमुख पर पूरी तरह नियंत्रण में रखते हुए हिंसा को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि हसीना, पूर्व गृहमंत्री और पूर्व पुलिस प्रमुख ने मिलकर प्रदर्शनकारियों पर हमला करने और उन्हें दबाने के आदेश दिए।
1. हिंसा भड़काने और छात्रों की हत्या
ICT के अनुसार, शेख हसीना ने छात्रों के विरोध को दबाने के लिए सीधे तौर पर आदेश दिए। जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन में लगभग 100 छात्रों की मौत हुई और हजारों घायल हुए। अदालत में यह बताया गया कि हसीना ने कहा था कि अगर मुक्ति योद्धाओं के पोते को नौकरी नहीं मिलती, तो रजाकारों के पोते क्यों पाएं। इससे एक वर्ग को दुश्मन के रूप में अलग किया गया। इसके अलावा, एक टेलीफोनिक बातचीत में उन्होंने रजाकारों को फांसी देने की बात कही। उनके निर्देशों के बाद छात्र संगठन छत्रा लीग ने प्रदर्शनकारियों पर व्यवस्थित हमला किया, जिससे 297 छात्र घायल हुए।
2. टेलीफोनिक आदेश और गिरफ्तारियां
शेख हसीना ने ढाका यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलपति मसूद कमाल को छात्रों को फांसी देने और गिरफ्तार करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही, उन्होंने कानून-प्रवर्तन एजेंसियों को प्रदर्शनकारियों को मारने के लिए आदेशित किया। इन आदेशों का पालन करते हुए पुलिस ने हेलिकॉप्टर और ड्रोन का इस्तेमाल कर प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाया। इसके परिणामस्वरूप 1,400 लोगों की मौत हुई और 2,500 लोग घायल हुए।
3. मार्च टू ढाका
प्रदर्शनकारियों ने 'मार्च टू ढाका' आयोजित किया। गृहमंत्री और पुलिस ने इस मार्च को रोकने के लिए सशस्त्र कार्रवाई की। इस दौरान छह निर्दोष प्रदर्शनकारी मारे गए। ICT ने पाया कि इन हत्याओं की पूरी जानकारी प्रधानमंत्री के पास थी, फिर भी उन्होंने रोकथाम के कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
4. तकनीकी साधनों का इस्तेमाल
शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए हेलिकॉप्टर, ड्रोन और अन्य घातक हथियारों का इस्तेमाल किया। अदालत में पेंड्राइव के माध्यम से उनकी बातचीत को सबूत के रूप में पेश किया गया। बातचीत में यह भी स्पष्ट हुआ कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने हसीना को बताया कि यह 'आतंकवादी हमला' है और उन्होंने संबंधित अधिकारियों को वही बयान बनाए रखने के निर्देश दिए।
5. मानवाधिकार उल्लंघन
ICT ने पाया कि प्रदर्शनकारियों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया गया। प्रदर्शनकारियों की हत्या की गई, शांतिपूर्ण प्रदर्शन को दबाया गया और गोलीबारी में अंधाधुंध नुकसान हुआ। मार्च टू ढाका के दौरान अतिरिक्त हत्याएं हुईं और कई लोगों को न्याय नहीं मिला।
आज सुबह शहर में सन्नाटा पसरा है। रातभर आगजनी और बम धमाकों के बाद शहर में भारी पुलिस और सेना तैनात हैं। ICT-BD परिसर, सचिवालय, सुप्रीम कोर्ट और प्रधानमंत्री कार्यालय के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) और पुलिस गश्त में हैं। बख्तरबंद वाहन और वाटर कैनन तैनात हैं।
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