
Tarique Rahman Return Bangladesh: 17 सालों के लंबे निर्वासन के बाद, खालिदा जिया के बेटे और BNP के प्रमुख नेता तारिक रहमान बांग्लादेश लौटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उनके लौटने से देश की राजनीति में हलचल मचने की संभावना है। फरवरी 2026 के राष्ट्रीय चुनाव के ठीक पहले यह वापसी हो रही है, जबकि देश राजनीतिक अशांति, हिंसा और कानून-व्यवस्था की चुनौती से जूझ रहा है। क्या तारिक रहमान BNP की स्थिति को बदल सकते हैं और चुनाव में पार्टी की किस्मत को फिर से जीवित कर सकते हैं?
तारिक रहमान खालिदा जिया और पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान के सबसे बड़े बेटे हैं। वह BNP के वास्तविक नेता माने जाते हैं। 2008 से वह लंदन में थे। शुरुआत में वह अपने मेडिकल इलाज के लिए यूके गए थे, लेकिन उनके खिलाफ कई आपराधिक और भ्रष्टाचार के मामलों में कानूनी कार्रवाई भी चल रही थी। इसमें 2004 का वह मामला भी शामिल है, जिसमें तत्कालीन विपक्षी नेता शेख हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं पर ग्रेनेड हमले की साजिश की गई थी। लंदन में अपने वर्षों के निर्वासन के दौरान रहमान ने अवामी लीग सरकारों के दबाव और संभावित दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए विदेश में रहना ही बेहतर समझा। अब, चुनाव के पहले उनका देश लौटना BNP के लिए नई उम्मीद और राजनीतिक रणनीति का संकेत माना जा रहा है।
तारिक रहमान की वापसी का समय विशेष महत्व रखता है। उनकी मां खालिदा जिया की सेहत बिगड़ रही है और वह सक्रिय राजनीति से काफी हद तक दूर हैं। देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति तनावपूर्ण है। हाल ही में जुलाई विद्रोह के एक प्रमुख नेता शरीफ़ उस्मान हादी की हत्या के बाद हिंसा बढ़ी है। प्रदर्शनकारियों ने मीडिया हाउस और सांस्कृतिक संस्थानों पर हमले किए, और संसद के पास तोड़फोड़ की। ऐसे में रहमान की वापसी BNP को मजबूती देने और राजनीतिक नेतृत्व के संकट को संभालने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
राष्ट्रीय चुनावों से पहले BNP के लिए तारिक रहमान का आगमन पार्टी की स्थिति को मजबूत कर सकता है। अमेरिका के इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट के एक पोल के अनुसार BNP फरवरी 2026 में अधिकांश सीटें जीतने की संभावना रखती है। पार्टी राष्ट्रवाद, भ्रष्टाचार विरोधी नीति और आर्थिक सुधार के मुद्दों पर चुनावी अभियान चला रही है। साथ ही, शेख हसीना की अवामी लीग को चुनाव में भाग लेने से रोक दिए जाने के बाद BNP देश की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही है। जमात-ए-इस्लामी भी चुनाव में सक्रिय है और BNP के बाद दूसरे स्थान पर रहने की संभावना है।
तारिक रहमान की वापसी के समय देश में हिंसा, राजनीतिक अशांति और कानून-व्यवस्था के संकट की स्थिति बनी हुई है। पिछले हफ़्ते एक छात्र नेता की हत्या और प्रदर्शनकारियों द्वारा सरकारी एवं निजी संपत्ति पर हमले ने माहौल को और अस्थिर बना दिया। ऐसे में रहमान को अपने राजनीतिक कदम सोच-समझकर उठाने होंगे।
देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी BNP के लिए यह वापसी निर्णायक साबित हो सकती है। चुनाव से पहले नेतृत्व की कमी, हिंसा और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच यह सवाल उठता है कि क्या रहमान पार्टी की रणनीति को नया जीवन देंगे और देश की राजनीति में स्थायित्व ला पाएंगे?
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