बिना हिजाब वाली महिला को बैंकिंग सर्विस देने पर बैंक मैनेजर की नौकरी गई, गवर्नर के आदेश के बाद हुआ बर्खास्त

हिजाब के खिलाफ इस प्रदर्शन को पूरे देश ही नहीं दुनिया के तमाम महिला व मानवाधिकार संगठनों का समर्थन प्राप्त है। हालांकि, इस्लामिक सरकार इसे दंगा करार दे रही है और कहा जा रहा है कि पश्चिमी दुश्मनों द्वारा इन प्रदर्शनों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। 

Dheerendra Gopal | Published : Nov 27, 2022 10:27 AM IST / Updated: Nov 27 2022, 08:04 PM IST

Hijab row: बिना हिजाब पहने एक महिला को ईरान के एक बैंक में सर्विस देने पर मैनेजर को नौकरी से निकाल दिया गया है। इस्लामिक देश में अनिवार्य सिर ढकने का नियम है। इसका पालन नहीं करने पर सजा का प्रावधान है। कई बार मुस्लिम देशों में कट्टरपंथी लगातार महिलाओं को हिजाब न पहनने पर हिंसा का शिकार बना रहे हैं। हालांकि, इस दमनात्मक कानून के खिलाफ दुनिया भर की महिलाएं एकजुट होकर प्रदर्शन व विरोध कर रही हैं। 

क़ोम प्रांत में बैंक मैनेजर को निकाला गया

मेहर समाचार एजेंसी के अनुसार ईरान की राजधानी तेहरान की यह घटना है। यहां के क़ोम प्रांत में बैंक मैनेजर ने बीते गुरुवार को एक अनजान महिला को बैंकिंग सर्विस प्रदान की थी। महिला बिना हिजाब के ही बैंक में आई थी। बैंक मैनेजर के इस व्यवहार को ईरान सरकार ने लापरवाही और कानून के विरूद्ध मानते हुए उसे नौकरी से निकाल दिया है। डिप्टी गवर्नर अहमद हाजीजादेह ने बताया कि गवर्नर के आदेश से उनके पद से हटा दिया गया है। बिना नकाब के बैंक पहुंची महिला के वीडियो को सोशल मीडिया पर काफी प्रतिक्रिया मिली है।

ईरान में बैंक राज्य के नियंत्रण में...

ईरान में अधिकतर बैंक राज्य-नियंत्रित हैं। डिप्टी गवर्नर हाजीजादेह ने कहा कि हिजाब कानून को लागू करना ऐसे संस्थानों में प्रबंधकों की जिम्मेदारी है। दरअसल, ईरान के कानून के अनुसार देश में महिलाओं को अपना सिर, गर्दन और बालों को ढंकना आवश्यक है। 

ड्रेस कोड का उल्लंघन करने पर महसा अमिनी की हिरासत में मौत

कथित रूप से ड्रेस कोड नियमों का उल्लंघन करने के लिए 22 वर्षीय महसा अमिनी को मॉरल पुलिसिंग के लिए स्थानीय पुलिस ने हिरासत में लिया था। उसको हिजाब नहीं पहनने पर थर्ड डिग्री इस्तेमाल किया गया जिसकी वजह से महसा अमिनी की 16 सितंबर को मौत हो गई थी। इस मौत के बाद देश में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन हुए थे। पुलिस ने महिलाओं के इस प्रदर्शन को दबाने की कोशिश की थी। इसमें कई दर्जन लोगों की जानें चली गई हैं। हिजाब के खिलाफ इस प्रदर्शन को पूरे देश ही नहीं दुनिया के तमाम महिला व मानवाधिकार संगठनों का समर्थन प्राप्त है। हालांकि, इस्लामिक सरकार इसे दंगा करार दे रही है और कहा जा रहा है कि पश्चिमी दुश्मनों द्वारा इन प्रदर्शनों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। 

1983 से हिजाब अनिवार्य

ईरान में 1979 की क्रांति के चार साल बाद हिजाब अनिवार्य हो गया था। ईरान में हुई क्रांति में अमेरिका समर्थित राजशाही को उखाड़ फेंका और इस्लामिक गणराज्य की स्थापना की गई थी। हालांकि, बाद में बदलते कपड़ों के मानदंडों के साथ, महिलाओं को तंग जींस और ढीले, रंगीन हेडस्कार्व्स में देखना आम हो गया। लेकिन इस साल जुलाई में अति-रूढ़िवादी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने सभी राज्य संस्थानों को हेडस्कार्फ़ कानून लागू करने के लिए लामबंद होने का आह्वान किया। इसके बाद महिलाओं पर अत्याचार शुरू हो गया। 

यह भी पढ़ें:

पाकिस्तान भेज रहा आतंकवाद के लिए धन! अलगाववादी नेता अब्दुल गनी भट से NIA की 8 घंटे पूछताछ में कई खुलासे

डॉ.सत्येंद्र जैन को तिहाड़ जेल में नहीं मिलेगा स्पेशल खाना, धार्मिक आस्था के अनुरूप भोजन मांग रहे थे मंत्री

Share this article
click me!