डेडलाइन खत्म होने से 20 मिनट पहले आधी रात नेतन्याहू ने किया सरकार बनाने का ऐलान, पढ़िए पूरी डिटेल्स

प्रधानमंत्री पद के लिए नामित बेंजामिन नेतन्याहू ने आधी रात से कुछ मिनट पहले ऐलान किया कि वे इजरायल में अगली सरकार बनाने में सक्षम हैं। 73 वर्षीय नेतन्याहू ने बुधवार देर रात राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग(Isaac Herzo) को सूचित किया कि शपथ ग्रहण 2 जनवरी या उससे पहले नहीं होगा।

Amitabh Budholiya | Published : Dec 22, 2022 1:05 AM IST / Updated: Dec 22 2022, 06:37 AM IST

यरूसलम(Jerusalem).प्रधानमंत्री पद के लिए नामित बेंजामिन नेतन्याहू ने इजरायल में गठबंधन सरकार बनाने का ऐलान कर दिया है। आधी रात से कुछ मिनट पहले नेतन्याहू ने कहा कि वे इजरायल में अगली सरकार बनाने में सक्षम हैं, जो 'सभी इजरायली नागरिकों की भलाई के लिए काम करेगी। 73 वर्षीय नेतन्याहू ने बुधवार देर रात राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग(Isaac Herzo) को सूचित किया कि शपथ ग्रहण 2 जनवरी या उससे पहले नहीं होगा। नेतन्याहू पिछले 38 दिनों से गठबंधन में शामिल पार्टियों को मनाने की कोशिश कर रहे थे। उनके ऐलान से 20 मिनट बाद सरकार बनाने के लिए उन्हें मिला समय खत्म होने वाला था। पढ़िए पूरी डिटेल्स...


1. नवंबर में राष्ट्रपति हर्ज़ोग ने आफिसियली नेतन्याहू को नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। नेतन्याहू ने नेसेट ((Knesset-इजरायल की संसद) ) के 64 सदस्यों का समर्थन हासिल किया है।

2.इज़राइल की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधान मंत्री नेतन्याहू ने हर्ज़ोग को एक फोन कॉल में कहा कि वह अगली सरकार बनाने के लिए तैयार हैं, जो सभी इजरायली नागरिकों की भलाई के लिए काम करेगी। उन्होंने कहा-"पिछले चुनावों में हमें मिले भारी जन समर्थन के लिए धन्यवाद।"

3.नई सरकार के पास 120 सदस्यीय नेसेट (संसद) में 64 सदस्यों का समर्थन होगा। इजराइल के करीब 67.8 लाख नागरिकों ने 25वीं नेसेट के लिए वोटिंग की थी। करीब 210,720 लोगों ने पहली बार वोटिंग की। नए वोटर लगभग चार से पांच सीटों  का गणित तय करने में सक्षम थे।

4. इज़राइल में हनुक्का छुट्टियों(Hanukkah holidays) के साथ नेसेट केवल 26 दिसंबर को आयोजित होगा। इसक मतलब होगा कि सरकार का शपथ ग्रहण 2 जनवरी से पहले नहीं हो पाएगा। हनुका यहूदी धर्म का पर्व है। हनुका जिसे प्रकाश का महोत्सव भी कहा जाता है। यह ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित है, जो यरूसलम में 165 ईसा पूर्व में हुई थी ।

5. नेतन्याहू की सत्तारूढ़ लिकुड पार्टी ने नेसेट में 32 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि निवर्तमान प्रधानमंत्री यायर लैपिड की येश एटिड(Yesh Atid) को 24 सीटें मिलीं।

6.इज़राइल 2019 के बाद से राजनीतिक गतिरोध के एक अभूतपूर्व दौर से गुजर रहा है। देश के सबसे लंबे समय तक पीएम रहने वाले नेतन्याहू पर रिश्वत, धोखाधड़ी और विश्वास के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था।

7. नेतन्याहू की सत्ता में वापसी से भारत-इजरायल संबंधों में तेजी आने की संभावना है। भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के पैरोकार, नेतन्याहू जनवरी 2018 में भारत की यात्रा करने वाले दूसरे इजरायली प्रधान मंत्री थे। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2017 में पहली बार इजरायल की अपनी ऐतिहासिक यात्रा की थी।

8. धार्मिक ज़ायोनीवाद के नेता बेज़ेल स्मोत्रिच(Bezalel Smotrich) अर्ध-संवैधानिक मूल कानून को बदलने के लिए जोर दे रहे हैं, ताकि वे वेस्ट बैंक बस्तियों के प्रभारी रक्षा मंत्रालय में एक स्वतंत्र मंत्री के रूप में अपनी नियुक्ति को सक्षम कर सकें, जो उनका प्रमुख मतदान क्षेत्र है। स्मोत्रिच इजरायल द्वारा वेस्ट बैंक पर कब्जा करने की वकालत करते हैं, जो लगभग 500,000 यहूदी बसने वालों और लगभग 3 मिलियन फिलिस्तीनियों का घर है।

9. बता दें कि दो साल में चार चुनाव हुए, लेकिन किसी पार्टी को अकेले स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। संसद में कुल 120 सीटें हैं। बहुमत के लिए 61 सांसद चाहिए होती हैं। यहां मल्टी पार्टी सिस्टम होने से छोटी पार्टियां भी कुछ सीटें जीत लेती हैं। 

10. करीब12 साल तक सत्ता पर काबिज रहे नेतन्याहू के लिए दुबारा पीएम बनना एक चुनौती थी, लेकिन विपक्ष के मुकाबले आसानी भी उन्हीं के लिए थी। नई सरकार मेजॉरिटी के बाउंड्री पर खड़ी थी। अगर नेतन्याहू सरकार नहीं बना पाते, तो दो ही रास्ते बचते। पहला-फिर से चुनाव या दूसरा-नेतन्याहू बहुमत का जुगाड़ करें और सरकार बना लें।

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