चीन की चाल में फंस रहा भूटान, श्रीलंका-पाकिस्तान की तरह न हो जाए कंगाल, डोकलाम में सड़क निर्माण कर रहा ड्रैगन

रेड लैंटर्न एनालिटिका के मुताबिक चीनी सैनिकों ने कंस्ट्रक्शन वाहनों और सड़क निर्माण डिवाइसों के जरिए डोकलाम में दक्षिण की ओर एक सड़क का विस्तार करना शुरू कर दिया है.

थिम्फू: चीन दशकों से भूटान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ खिलवाड़ कर रहा है। वह कभी भूटान के बड़े हिस्से को चीन का हिस्सा दिखाता है, तो कभी भूटान के क्षेत्र में निर्माण करने लगता है। ऐसा ही एक मामला चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के नेतृत्व में 2017 में सामने आया था। रेड लैंटर्न एनालिटिका के मुताबिक अब चीनी सैनिक कंस्ट्रक्शन वाहनों और सड़क निर्माण डिवाइसों के साथ डोकलाम में दक्षिण की ओर एक मौजूदा सड़क का विस्तार करना शुरू कर दिया है। बता दें कि रेड लैंटर्न एनालिटिका नई दिल्ली स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय मामलों का पर्यवेक्षक समूह है,जो चीन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर शोध करता है।

रेड लैंटर्न एनालिटिका ने एक बयान में कहा कि डोकलाम भारत, भूटान और चीन के बीच एक विवादित क्षेत्र है। पर्यवेक्षक समूह का कहना है कि अपनी सीमा विस्तार करने की इच्छाओं के कारण चीन पूरे पठार पर दावा करता है। वहीं, भारत ऐतिहासिक संधियों की गरिमा बनाए रखता है। भूटान फ्रेंडशिप ट्रीटी जैसे एग्रीमेंट के तहत भारत के साथ कोर्डिनेट करता है। हालांकि, अब चीन की ओर से भूटान पर भारत के प्रति उसका रुख बदलने के लिए दबाव डाल रहा है।

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भूटान पर चीन का दबाव

रेड लैंटर्न एनालिटिका की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की ओर से लगातार बढ़ रहे प्रेशर के कारण भूटान के प्रधानमंत्री लोटे त्शेरिंग ने हाल ही में दावा किया कि डोकलाम विवाद में चीन बराबर का हिस्सेदार है। इसे भूटान अकेले हल नहीं कर सकता है। डोकलाम में भूटान,भारत और चीन तीनों देशों के समान हित हैं।गौरतलब है कि चीन दशकों से भूटान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ खिलवाड़ कर रहा है। इसके लिए ड्रैगन कभी भूटान के बड़े क्षेत्र को चीन का हिस्सा बताता है, तो कभी भूटान के क्षेत्र में निर्माण करने लगता है। इनमें से ज्यादातर निर्माण विवादित क्षेत्रों में होता है।

सीसीपी के बहकावे में न आए देश
रेड लैंटर्न एनालिटिका के मुताबिक चीन अब विवादित ट्राई-जंक्शन को दक्षिण की ओर शिफ्ट करने की कोशिश कर रहा है, जो पूरे डोकलाम पठार को कानूनी तौर पर चीन का हिस्सा बना देगा। फिलहाल भूटान की स्थिति से ऐसा लग सकता है कि उसके पास क्षेत्र में चीन के बढ़ते अतिक्रमण को रोकने के लिए सीमित ही विकल्प हैं, लेकिन भूटान के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वह सीसीपी के बहकावे में न आए। वरना इसके विपरीत परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।

पाकिस्तान और श्रीलंका फंसे जाल में
पिछले कुछ वर्षों में एशिया सीसीपी की क्रूर 'Debt Trap Diplomacy' का लक्ष्य बन गया है। इसका प्रमुख उदाहरण पाकिस्तान , श्रीलंका, मंगोलिया और नेपाल हैं। इन सभी देशों का चीन द्वारा अपने निजी लाभ के लिए शोषण किया गया, जिससे वे चीन पर निर्भर हो गए और अंत में अपने प्राकृतिक संसाधनों और बुनियादी ढांचे चीन को दे बैठे।इसलिए जरूरी है भूटान को सतर्क रहे और चीन के संदिग्ध दावों के जाल में न फंसे।

यह भी पढ़ें- 10 साल में चीनी हथियारों के निर्यात में आई 23 प्रतिशत गिरावट, भारत है बड़ी वजह, सैन्य जमाखोरी का भी संकेत

 

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