2006 से अब तक दुनियाभर में विमान हादसों में 7 हजार से ज्यादा मौतें, खराब मौसम की वजह से सिर्फ 10% हादसे हुए

स्टैटिस्टा (Statista) की अगस्त 2018 की रिपोर्ट देखें तो पता चलता है कि 2006 से दुनियाभर में हुए विमान हादसों (Plane Crash) में अब तक 7,396 लोगों की जान गई है। इसमें सबसे ज्यादा 943 मौतें 2010 में, जबकि सबसे कम 59 मौतें 2017 में हुईं।

Vikash Shukla | Published : Dec 10, 2021 7:31 AM IST

नई दिल्ली। सीडीएस जनरल बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) के हेलिकॉप्टर क्रैश के मामले में एयरफोर्स जांच कर रही है, लेकिन इस बीच तमाम तरह की बातें सामने आ रही हैं। इस साल के सबसे भीषण विमान हादसे के बाद से दुनियाभर के विमान हादसों पर चर्चा हो रही है। स्टैटिस्टा की अगस्त 2018 की रिपोर्ट देखें तो पता चलता है कि 2006 से दुनियाभर में हुए विमान हादसों में अब तक 7,396 लोगों की जान गई है। इसमें सबसे ज्यादा 943 मौतें 2010 में, जबकि सबसे कम 59 मौतें 2017 में हुईं। रिपोर्ट के मुताबिक 2004 से अब तक विमान दुर्घटनाओं में हुई मौतें 66 फीसदी तक कम हुई हैं। अमेरिका और यूके में तो हवाई यात्रा को मोटरसाइकल राइड से भी ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो दुनियाभर में सबसे ज्यादा 38 प्रतिशत विमान हादसे लैंडिंग के वक्त हुए हैं। यही नहीं, 50 प्रतिशत हादसों में पायलट की गलती पाई गई है। 20% मामले में विमान के मशीनों में खराबी की वजह से हादसे होते हैं। जबकि 10% मामले में मौसम की खराबी की वजह से हादसे हुए हैं।

खराब मौसम नहीं, एक साथ कई गड़बड़ियां हो सकती हैं वजह 
सीडीएस रावत जिस हेलिकॉप्टर में सवार थे वह दुनिया के सबसे एडवांस्ड हेलिकॉप्टर्स में से एक Mi-17V5 है। अनुभवी पायलट से यह हादसा कैसे हो गया, यह सवाल सभी के मन में है। कोई खराब मौसम की बात कह रहा है तो कोई- तकनीकी गड़बड़ी। जनरल रावत का हेलिकॉप्टर लैंडिंग से 5 मिनट पहले क्रैश हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि खराब मौसम में प्लेन हवा में क्रैश होने की बात नहीं मानी जा सकती। यह एक साथ कई गलतियों से हो सकता है। इसे ‘स्विस चीज मॉडल’ कहते हैं। इसके मुताबिक पायलट की चूक, मौसम की खराबी और तकनीकी खराब सब एक साथ होने से ऐसे एडवांस्ड प्लेन में भी हादसे होते हैं। 

सीडीएस के हेलिकॉप्टर क्रैश में ये आशंकाएं 
CDS बिपिन रावत के विमान हादसे से जुड़ा एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में हेलिकॉप्टर काफी नीचे उड़ान भरता दिख रहा है। आसमान में काफी फॉम दिख रही है। विजिबिलिटी भी कम है। ऐसे में खराब मौसम और तय उंचाई से नीचे गलत रूट पर उड़ान भरना भी हादसे की वजह बताई जा रही है।  

24 फीसदी विमान हादसे आसमान में होते हैं 
विमानों के जानकारों के मुताबिक विमान हादसे के सबसे ज्यादा 38% मामले लैंडिंग के समय होते हैं। वहीं, 24% विमान उड़ान भरने के बाद आसामान में स्ट्रेट होने के समय हादसे के शिकार होते हैं। टेक ऑफ के समय 8% विमान हादसे के शिकार होते हैं, जबकि उड़ान भरने से पहले रनवे पर टेक ऑफ के समय 13% विमान हादसे के शिकार होते हैं। विमान जब ऑल्टीट्यूड पर सबसे तेज गति में होता है, तब 17% हादसे होते हैं। 

तकनीकी खराबी बड़ी वजह, बोइंग में भी यही सामने आया 
विमान हादसे की मुख्य वजह तकनीकी खामी भी होती हैं। यह दो तरह से होती हैं। पहली - विमान के टेक ऑफ से पहले सही से जांच नहीं होने से ऐसा होता है। वहीं, टेक्निकल डिफेक्ट विमान के बेसिक डिजाइन या सिस्टम में किसी तरह की खामी की वजह से होता है। 2019 में बोइंग 737 हादसे में भी इसी तरह की  टेक्निकल खामी की बात सामने आई थी। इसके बाद बोइंग के सॉफ्टवेयर को अपग्रेड किया गया है। भारत ने हाल ही में इसे उड़ान की मंजूरी दी है। 

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