Operation Devi Shakti: गुरु ग्रंथ साहिब के दो पवित्र स्वरूप लेकर सिख डेलिगेशन अफगानिस्तान से भारत पहुंचा

ऑपरेशन देवी शक्ति(Operation Devi Shakti) के तहत एक सिख प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान से भारत पहुंचा। वो अपने साथ गुरु ग्रंथ साहिब के दो पवित्र स्वरूप भी लाया है। अफगानिस्तान में मानवीय संकट भी बढ़ गया है। जहां सारी दुनिया कोरोना को लेकर सुरक्षा के उपाय ढूंढ रही है, तालिबान सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर पा रही है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 10, 2021 7:25 AM IST / Updated: Dec 10 2021, 04:14 PM IST

नई दिल्ली. अफगानिस्तान से एक सिख प्रतिनिधिमंडल(Sikh delegation) भारत पहुंचा। यह प्रतिनिधिमंडल ऑपरेशन देवी शक्ति के साथ तहत आया है। ये लोग गुरु ग्रंथ साहिब के दो पवित्र स्वरूप भी लाए हैं। एयरपोर्ट से इन गुरु ग्रंथों को ससम्मान अपने सिर पर रखकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी लेकर निकले। पुरी ने tweet भी किया। बता दें कि 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया था। इसके बाद वहां सिखों की स्थिति ठीक नहीं है। इससे पहले भी अफगानिस्तान से पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब के तीन स्वरूप भारत पहुंचे थे। इनहें केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने खुद रिसीव किया था।

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क्या है देवी शक्ति ऑपरेशन 
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के साथ ही विभिन्न देशों ने अपने-अपने लोगों को वहां से निकालने ऑपरेशन चलाया था। भारत ने ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत उड़ाने शुरू की थीं। यह ऑपरेशन 16 अगस्त से ही शुरू हो गया था। इस मिशन की मॉनिटरिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Modi) खुद करते आ रहे हैं। इस मिशन का नाम देवी शक्ति रखने के पीछे एक वजह बताई गई थी। जैसे मां दुर्गा राक्षसों से निर्दोष लोगों की रक्षा करती है, वैसे ही इस मिशन के तहत तालिबान से अपने लोगों को सुरक्षित निकालना था।

भारत ने अफगानिस्तानी सिखों को वीजा देने का किया था ऐलान
भारत सरकार ने अगस्त में घोषणा की थी कि वह अफगानिस्तान से भाग रहे सिखों और हिंदुओं को आपातकालीन वीजा प्रदान करेगी। बता दें कि 1970 के दशक तक अफगानिस्तान में 2 लाख से अधिक सिख और हिंदू रहते थे। लेकिन आज गिनती के बचे हैं। तालिबान लगातार अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों को नष्ट कर रहा है। सोवियत-अफगान युद्ध और अफगान गृहयुद्ध (1992-1996) से पहले काबुल में हजारों सिख रहते थे। लेकिन 1980 और 1990 के दशक में अफगान शरणार्थियों के साथ भारत और पड़ोसी पाकिस्तान चले गए। 2001 के अंत में अमेरिकी सैनिकों के आने पर तालिबान शासन हटने पर कुछ लौटे। 2008 तक अफगानिस्तान में करीब 2500 सिख थे।

कोरोनाकाल में भी जारी रहा ऑपरेशन देवी शक्ति
कोरोना काल में भी भारत ने अफगानिस्तान में फंसे अपने लोगों को निकालने का ऑपरेशन देवी शक्ति जारी रखा था। जब अगस्त में 78 लोगों को रेस्क्यू किया गया था, तब 16 लोग संक्रमित मिले थे। चूंकि इस समय कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर चिंता बनी हुई है, इसलिए सरकार अधिक सतर्कता बरत रही है। क्योंकि यह वैरिएंट तमाम देशों में तेजी से फैला है।

यह तस्वीर अगस्त की है। देख सकते हैं कि कैसे अफगानी सिख सिर पर गुरु ग्रंथ साहिब को लेकर वहां से भारत के लिए निकले थे। अफगानिस्तान ने बीते सालों में जो कुछ विकास हासिल किया था, उसमें वहां रहने वाले सिखों का बड़ा योगदान रहा, लेकिन तालिबान उनकी कद्र नहीं कर पाया।

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