
BRICS+ Common Currency strategy: BRICS+ देशों ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की धमकियों को नजरअंदाज करते हुए ग्लोबल ट्रेड में अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के विकल्प की तलाश तेज कर दी है। ट्रंप ने कई मौकों पर BRICS+ देशों को 100% से 150% तक के टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। ट्रंप ने कहा कि यदि वे डेडॉलराइजेशन (De-dollarisation) की दिशा में आगे बढ़ते हैं तो अमेरिका टैरिफ लगाएगा।
BRICS यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (Brazil, Russia, India, China, South Africa) का समूह अब BRICS+ के रूप में 10 देशों तक विस्तार कर चुका है। ब्रिक्स में मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और इंडोनेशिया शामिल हो चुके हैं। सऊदी अरब (Saudi Arabia) ने सदस्यता को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार किया है लेकिन अभी आधिकारिक रूप से समूह में शामिल नहीं हुआ है।
डोनाल्ड ट्रंप ने पहली बार दिसंबर 2024 में टैरिफ लगाने की धमकी दी थी और फिर जनवरी 2025 में अपने उद्घाटन समारोह के बाद इसे दोहराया। हालांकि, BRICS+ देशों ने इस धमकी को अनसुना करते हुए अपनी योजना पर आगे बढ़ने का फैसला किया।
ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा (Lula da Silva) ने ट्रंप की धमकी को खारिज करते हुए कहा कि BRICS+ अमेरिकी डॉलर की मजबूती को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे कोई भी परिस्थिति हो। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा: डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ की धमकियां BRICS के देशों को अपने वैकल्पिक भुगतान प्लेटफॉर्म विकसित करने से नहीं रोक सकतीं।
ब्राजील इस साल BRICS की अध्यक्षता कर रहा है। उसने कहा कि समूह का आगामी शिखर सम्मेलन बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम होगा।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने भी BRICS+ देशों की इस रणनीति का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका यदि अन्य देशों पर जबरदस्ती डॉलर में व्यापार करने का दबाव बनाएगा तो यह भविष्य में उसी के खिलाफ जाएगा।
पिछले हफ्ते, डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि BRICS अब टूट चुका है और इसका श्रेय उन्होंने अपनी टैरिफ धमकियों को दिया। उन्होंने कहा: BRICS देश हमारे डॉलर को खत्म करना चाहते थे। जब मैंने सत्ता संभाली तो मैंने स्पष्ट कर दिया कि जो भी देश अमेरिकी डॉलर के खिलाफ कुछ भी बोलेगा, उसे 150% टैरिफ देना होगा। अब BRICS का अस्तित्व खत्म हो गया है।
ट्रंप ने यह भी कहा कि BRICS का गठन एक गलत मकसद से हुआ था। अब वे डॉलर के खिलाफ बात करने से भी डर रहे हैं क्योंकि मैंने उन्हें साफ-साफ कह दिया है कि अगर वे अमेरिकी डॉलर से खेलने की कोशिश करेंगे तो भारी टैरिफ झेलना पड़ेगा।
फिलहाल, BRICS+ के पास कोई साझा करेंसी (Common Currency) नहीं है लेकिन 2023 में रूस में हुए BRICS शिखर सम्मेलन में व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि डेडॉलराइजेशन एक बहुध्रुवीय विश्व के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा: BRICS+ देशों को राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार बढ़ाना चाहिए और आपसी बैंकिंग सहयोग को मजबूत करना चाहिए। यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बाद अमेरिका द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण BRICS+ देशों के बीच आपसी व्यापारिक सहयोग में काफी वृद्धि हुई है। हालांकि, यूरोप की तरह कोई एकल मुद्रा (Euro जैसी Common Currency) बनाने पर अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। फिर भी, कई सदस्य देश अब अमेरिकी डॉलर के बजाय स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने पर जोर दे रहे हैं।
यह भी पढ़ें:
कौन है तालिबान बनाने वाले मौलाना का बेटा हमीदुल हक हक्कानी? पाकिस्तान के मदरसे में गई जान
अंतरराष्ट्रीय राजनीति, ग्लोबल इकोनॉमी, सुरक्षा मुद्दों, टेक प्रगति और विश्व घटनाओं की गहराई से कवरेज पढ़ें। वैश्विक संबंधों, अंतरराष्ट्रीय बाजार और बड़ी अंतरराष्ट्रीय बैठकों की ताज़ा रिपोर्ट्स के लिए World News in Hindi सेक्शन देखें — दुनिया की हर बड़ी खबर, सबसे पहले और सही तरीके से, सिर्फ Asianet News Hindi पर।