
श्रीलंका में सत्ता से हटाए गए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षा के करीबी रहे एक कट्टरवादी बौद्ध भिक्षु को इस्लाम का अपमान करने और धर्म के आधार पर नफरत फैलाने के अपराध में 9 महीने की सजा सुनाई गई है। विवादस्पद भिक्षु गालागोडात्ते ग्नानसारा को इस्लाम का अपमान करने के आरोप में जेल भेज दिया गया है। उन्हें 2016 में की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए दोषी ठहराया गया है। ग्नानसारा ने 2016 में एक सार्वजनिक भाषण में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। वे बौद्ध राष्ट्रवादी संगठन 'बौद्ध रिवाइवल मूवमेंट' के नेता हैं। इस टिप्पणी के बाद, श्रीलंका में मुस्लिम समुदाय में आक्रोश फैल गया था। श्रीलंका की अदालत ने ग्नानसारा को दोषी ठहराते हुए उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया है।
साल 2019 में श्रीलंका के राष्ट्रपति ने ग्नानसारा को माफी दे दी थी। दरअसल अदालत ने उन्हें धमकाने और अदालत की अवहेलना करने के आरोप में छह साल की सजा सुनाई थी, जिसे राष्ट्रपति ने माफ कर दिया था। ग्नानसारा को दिसंबर में साल 2016 में की गई टिप्पणी के लिए गिरफ्तार किया गया था। अब कोलंबो की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उन्हें इस मामले में सजा सुना दी है। गुरुवार को अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी नागरिकों को संविधान के तहत अपने धर्म के पालन का अधिकार है, भले ही वो किसी भी धर्म को मानते हों।ग्नानसारा ने इस सजा के खिलाफ अपील दायर की है।
ग्नानसारा पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षा के बेहद करीबी थे। लेकिन साल 2022 में श्रीलंका में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद राजपक्षा ने देश छोड़ दिया था। राजपक्षा के कार्यकाल के दौरान ग्नानसारा को देश मे धार्मिक सौहार्द सुरक्षा टास्क फोर्स का प्रमुख भी बनाया गया था। पिछले साल भी ग्नानसारा को मुसलमानों के खिलाफ टिप्पणी करने के आरोप में जेल भेजा गया था। हालांकि इस मामले में उन्हें जमानत मिल गई थी।
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